नेशनल हेराल्ड केस में कांग्रेस पर कसा शिकंजा, ईडी ने कोर्ट में रखी दलीलें

नेशनल हेराल्ड से जुड़ी मनी लॉन्ड्रिंग जांच में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट को बताया कि अगर जांच के दौरान पर्याप्त साक्ष्य मिलते हैं, तो पीएमएलए की धारा 70 के तहत कांग्रेस पार्टी को भी इस मामले में आरोपी बनाया जा सकता है। हालांकि एजेंसी ने स्पष्ट किया कि जब तक ठोस प्रमाण नहीं मिलते, तब तक यह कदम नहीं उठाया जाएगा। ईडी ने यह भी कहा कि वर्तमान में पार्टी को आरोपी नहीं बनाने का यह अर्थ नहीं है कि भविष्य में ऐसा नहीं होगा।

एजेंसी की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) एस.वी. राजू ने बुधवार को अदालत में अपनी दलीलें पेश कीं। उन्होंने बताया कि यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड द्वारा एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) का अधिग्रहण किया गया, जिसकी संपत्ति करीब दो हजार करोड़ रुपये की है। यह अधिग्रहण 90 करोड़ रुपये के कर्ज के बदले किया गया, जबकि यह राशि कांग्रेस ने बिना ब्याज और जमानत के प्रदान की थी।

राजू ने कहा कि यंग इंडियन ने खुद स्वीकार किया है कि इसके लाभार्थी सोनिया गांधी और राहुल गांधी हैं। कंपनी के प्रमुख पदों पर सुमन दुबे और सैम पित्रोदा भी शामिल थे। उन्होंने आरोप लगाया कि इस अधिग्रहण की प्रक्रिया में धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश के तत्व मौजूद हैं।

एएसजी ने कहा कि एसोसिएटेड जर्नल्स की ओर से कांग्रेस को पत्र भेजा गया था, जिसमें नियमित आय न होने और प्रकाशन बंद होने के कारण ऋण चुकाने में असमर्थता जताई गई थी। इसके बावजूद, यंग इंडियन को महज 50 लाख रुपये में 90 करोड़ रुपये का ऋण हस्तांतरित कर दिया गया, जो एक सुनियोजित साजिश का हिस्सा था।

ईडी ने आगे कहा कि इस जांच में कांग्रेस की संलिप्तता से इनकार नहीं किया जा सकता। राहुल गांधी और सोनिया गांधी द्वारा जांच में पूरी तरह से सहयोग नहीं किए जाने का आरोप लगाते हुए एजेंसी ने दावा किया कि दोनों ने ज़िम्मेदारी मोतीलाल वोरा पर डाल दी। अब इस मामले की अगली सुनवाई 3 जुलाई को होगी, जब ईडी अपनी दलीलें अदालत में जारी रखेगी।

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