नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने सोमवार को देश की 16वीं जनगणना के लिए राजपत्र अधिसूचना जारी कर दी है। अधिसूचना के बाद जहां सरकार ने इसे एक महत्वपूर्ण कदम बताया, वहीं कांग्रेस ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है।
कांग्रेस के मीडिया प्रभारी और महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि लंबे समय के इंतजार के बाद जारी की गई अधिसूचना में 30 अप्रैल 2025 को किए गए पूर्व ऐलान को ही दोहराया गया है। उन्होंने इसे “खोदा पहाड़, निकली चुहिया” जैसा करार दिया।
जातिगत जनगणना पर कांग्रेस ने फिर उठाए सवाल
जयराम रमेश ने दावा किया कि जातिगत जनगणना की दिशा में यह कदम कांग्रेस की मांग और दबाव का नतीजा है। उन्होंने आरोप लगाया कि पहले प्रधानमंत्री ने इस मांग को खारिज कर कांग्रेस नेताओं को “अर्बन नक्सल” तक कह दिया था, लेकिन अब सरकार को इसे स्वीकार करना पड़ा है।
हालांकि, जारी अधिसूचना में जातिगत आंकड़ों के संग्रह का कोई उल्लेख नहीं है। कांग्रेस ने इसे लेकर सरकार की मंशा पर सवाल खड़े किए हैं। पार्टी का कहना है कि क्या यह फिर से सरकार का वही “यू-टर्न” है, या आगे इस संबंध में विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए जाएंगे?
कांग्रेस की यह भी मांग है कि जनगणना में तेलंगाना मॉडल को अपनाया जाए, जिसमें जातियों के साथ-साथ सामाजिक और आर्थिक स्थिति की भी जानकारी एकत्र की जाती है। उल्लेखनीय है कि तेलंगाना में हुए जातीय सर्वेक्षण में 56 सवाल शामिल किए गए थे।
दो चरणों में होगी जनगणना
सरकारी अधिसूचना के अनुसार, 16वीं जनगणना दो चरणों में पूरी की जाएगी। बर्फीले क्षेत्रों जैसे लद्दाख में इसकी शुरुआत 1 अक्टूबर 2026 से होगी, जबकि देश के अन्य भागों में 1 मार्च 2027 से जनगणना कराई जाएगी। इससे पहले अंतिम जनगणना वर्ष 2011 में हुई थी।