बिहार विधानसभा चुनावों की तैयारी के तहत मतदाता सूची के विशेष संशोधन को लेकर उठ रहे सवालों के बीच मुख्य निर्वाचन आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार ने स्पष्ट किया है कि यह प्रक्रिया पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार और पूर्ण पारदर्शिता के साथ पूरी की जाएगी। दिल्ली में बीएलओ (बूथ स्तर अधिकारी) प्रशिक्षण कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग की प्राथमिकता यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी पात्र मतदाता छूट न जाए।
CEC ने दी प्रक्रिया की जानकारी
सीईसी ने कहा कि बिहार में चल रहा विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण अभियान (SIR) न केवल समयबद्ध है बल्कि सभी संबंधित पक्षों की भागीदारी से पारदर्शी रूप से संचालित किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि चुनावी अमले को आवश्यक प्रशिक्षण दिया जा रहा है ताकि मतदाता सूची में नाम जोड़ने, हटाने और संशोधन की प्रक्रिया निष्पक्ष व सटीक तरीके से की जा सके।
विपक्ष ने उठाए समय को लेकर सवाल
वहीं कांग्रेस, राजद, वाम दलों सहित विपक्षी दलों ने इस प्रक्रिया की पारदर्शिता पर नहीं, बल्कि इसकी समय-सीमा पर आपत्ति जताई है। विपक्ष का तर्क है कि जब चुनाव संभावित रूप से अक्टूबर-नवंबर में हो सकते हैं, तब सिर्फ तीन-चार महीने पहले इतनी बड़ी प्रक्रिया कराना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
उनका कहना है कि मतदाता सूची में केवल नाम जोड़ना ही नहीं, बल्कि घर-घर जाकर सत्यापन, गलतियों में सुधार और नए नाम जोड़ने जैसे कार्य शामिल हैं, जिन्हें इतने कम समय में पूरी गुणवत्ता और व्यापकता के साथ करना संभव नहीं लगता।
चुनाव आयोग का जवाब
चुनाव आयोग ने विपक्ष की चिंताओं का जवाब देते हुए दोहराया कि इस संशोधन का उद्देश्य योग्य मतदाताओं की अधिकतम भागीदारी सुनिश्चित करना है। सीईसी ने बताया कि बीएलओ को विशेष रूप से प्रशिक्षित किया जा रहा है ताकि कोई पात्र मतदाता छूट न जाए और त्रुटियां न्यूनतम रहें। आयोग के अनुसार, यह अभियान बिहार में निष्पक्ष और समावेशी चुनाव सुनिश्चित करने की दिशा में एक अहम कदम है।
अब भी विपक्ष असंतुष्ट
हालांकि, विपक्षी दल अब भी संतुष्ट नहीं हैं। उनका मानना है कि इतनी सीमित अवधि में सूची में व्यापक और त्रुटिहीन सुधार संभव नहीं है, जिससे पारदर्शिता और समावेशिता दोनों प्रभावित हो सकती हैं।