देश में मतदाता सूचियों को निष्पक्ष और त्रुटिहीन बनाने के उद्देश्य से चुनाव आयोग ने एक बड़ा कदम उठाया है। आयोग इस साल छह राज्यों में मतदाता सूचियों की विशेष गहन समीक्षा शुरू करेगा, ताकि विदेश से अवैध रूप से आए प्रवासियों की पहचान कर उनके नामों को सूची से हटाया जा सके। इस अभियान की शुरुआत बिहार से की जाएगी, जहां वर्ष के अंत में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं।
अन्य पांच राज्य — असम, केरल, पुडुचेरी, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल — में वर्ष 2026 में विधानसभा चुनाव होने हैं। आयोग के अनुसार, यह कार्रवाई बांग्लादेश और म्यांमार से अवैध रूप से आए प्रवासियों को ध्यान में रखते हुए की जा रही है। सफल परीक्षण के बाद यह प्रक्रिया अन्य राज्यों में भी लागू की जा सकती है।
देशभर में चलेगा विशेष पुनरीक्षण अभियान
आयोग ने यह स्पष्ट किया है कि मतदाता सूचियों की निष्पक्षता बनाए रखने के लिए देशव्यापी विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान चलाया जाएगा। इस अभियान के तहत मतदाता सूची को दुरुस्त करने के लिए अधिकारी घर-घर जाकर भौतिक सत्यापन करेंगे और प्रत्येक मतदाता के जन्म स्थान एवं पहचान का सत्यापन सुनिश्चित करेंगे।
मतदाता बनने के लिए नए दस्तावेजी मानक लागू
जो लोग मतदाता सूची में नाम दर्ज कराने के लिए आवेदन करेंगे, उन्हें अब अतिरिक्त शपथपत्र देना होगा। इस शपथ में यह स्पष्ट करना होगा कि उनका जन्म भारत में 1 जुलाई 1987 से पहले हुआ था। जिनका जन्म 1 जुलाई 1987 से 2 दिसंबर 2004 के बीच हुआ है, उन्हें अपने माता-पिता के जन्म से जुड़े दस्तावेज भी प्रस्तुत करने होंगे। यह कदम अवैध प्रवासियों को सूची से बाहर करने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
बूथ स्तर तक पहुंचेगा सत्यापन
गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया के दौरान बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) मतदाता के पते पर जाकर उनकी जानकारी का सत्यापन करेंगे। आयोग ने स्पष्ट किया है कि यह कार्रवाई पूर्णत: निष्पक्ष होगी और मतदाता सूची से गैरकानूनी नामों को हटाने के लिए की जा रही है।
विपक्ष के आरोपों के बीच कड़ी निगरानी
गौरतलब है कि हाल के वर्षों में विपक्षी दलों ने आयोग पर सत्तारूढ़ दल को लाभ पहुंचाने के लिए मतदाता आंकड़ों में हस्तक्षेप के आरोप लगाए हैं। इन आरोपों के बीच आयोग ने यह स्पष्ट किया है कि पारदर्शिता और निष्पक्षता बनाए रखने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं।