सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को पूर्व आईएएस प्रशिक्षु अधिकारी पूजा खेडकर को बड़ी राहत देते हुए अग्रिम जमानत प्रदान की। खेडकर पर आरोप है कि उन्होंने वर्ष 2022 की यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के लिए आवेदन करते समय दस्तावेज़ों में कथित तौर पर फर्जीवाड़ा किया और आरक्षण का अनुचित लाभ लेने का प्रयास किया।
कोर्ट ने कहा – अपराध गंभीर नहीं
न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने सुनवाई के दौरान टिप्पणी करते हुए कहा कि खेडकर किसी संगीन अपराध में शामिल नहीं हैं। कोर्ट ने कहा, “वह न तो मादक पदार्थों की तस्कर हैं, न आतंकवादी, न ही किसी हत्या या यौन अपराध की आरोपी। ऐसे में उन्हें अग्रिम जमानत दी जा रही है, बशर्ते वे जांच में पूरा सहयोग करें, गवाहों को प्रभावित न करें और सबूतों से छेड़छाड़ न करें।”
जमानत की शर्तें
अदालत ने आदेश में कहा कि गिरफ्तारी की स्थिति में पूजा खेडकर को ₹35,000 नकद और दो जमानतदारों के आधार पर रिहा किया जाएगा। उन्हें स्वतंत्रता का दुरुपयोग नहीं करना होगा, अन्यथा उनकी जमानत रद्द की जा सकती है।
यूपीएससी की कार्रवाई और मामला
यूपीएससी ने 31 जुलाई 2022 को पूजा खेडकर की उम्मीदवारी रद्द कर दी थी और भविष्य की परीक्षाओं में हिस्सा लेने से भी रोक दिया था। आयोग का कहना है कि खेडकर ने ओबीसी और दिव्यांग श्रेणी का अनुचित लाभ लेने के लिए दस्तावेज़ों में गलत जानकारी दी थी। इसी आरोप में दिल्ली पुलिस ने उनके खिलाफ मामला दर्ज किया है।
दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को दी चुनौती
पूजा खेडकर ने दिल्ली हाईकोर्ट के उस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसमें उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी गई थी। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में खेडकर के आचरण को संविधान, समाज और राष्ट्र के साथ धोखाधड़ी बताया था।
इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें अंतरिम गिरफ्तारी से राहत दी थी और जांच में सहयोग करने की शर्त पर गिरफ्तारी पर रोक लगाई थी।