भारत-पाकिस्तान संघर्ष विराम: भारत की शर्तों पर बनी सहमति

चार दिनों से जारी भारत-पाकिस्तान के बीच सैन्य संघर्ष आखिरकार थम गया है। पाकिस्तान के समर्पण के बाद भारत ने शाम पांच बजे से संघर्ष विराम की घोषणा की। विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि यह संघर्ष विराम भारत की शर्तों पर ही लागू किया गया है। हालांकि, सिंधु जल संधि का निलंबन अभी भी जारी रहेगा।

भारत-पाकिस्तान के बीच बनी सहमति

विदेश मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान की ओर से संपर्क किए जाने के बाद दोनों देशों के बीच सहमति बनी। संघर्ष विराम के लिए किसी भी प्रकार की पूर्व या बाद की शर्तें नहीं रखी गईं। भारत का रुख आतंकवाद के मामले में सख्त बना रहेगा।

सिंधु जल संधि का निलंबन जारी

भारत ने 22 अप्रैल को पहलगाम हमले के जवाब में सबसे पहले सिंधु जल संधि को निलंबित किया था। चार युद्धों और लंबे समय से जारी सीमा पार आतंकवाद के बावजूद यह संधि पहले कायम रही थी। सिंधु नदी का पानी पाकिस्तान की कृषि और पेयजल आपूर्ति के लिए महत्वपूर्ण है। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा कि सिंधु जल संधि तब तक निलंबित रहेगी, जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद का समर्थन पूरी तरह से नहीं छोड़ देता।

सिंधु जल समझौता: एक महत्वपूर्ण पृष्ठभूमि

1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुई सिंधु जल संधि का उद्देश्य सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों के पानी के उपयोग को लेकर विवादों को समाप्त करना था। इस संधि में ब्यास, रावी और सतलुज नदियों के पानी पर भारत का अधिकार है, जबकि सिंधु, झेलम और चिनाब नदियों पर पाकिस्तान का अधिकार है। इस समझौते के तहत भारत को लगभग 30 प्रतिशत और पाकिस्तान को 70 प्रतिशत पानी का हिस्सा मिला।

पाकिस्तान की बेचैनी बढ़ी

सिंधु जल संधि को निलंबित करने के भारत के फैसले से पाकिस्तान में हड़कंप मच गया। सूखे का संकट पहले से ही झेल रहे पाकिस्तान के लिए यह कदम मुश्किलें बढ़ाने वाला है। पाकिस्तान के कानून और न्याय राज्य मंत्री अकील मलिक ने कहा था कि वे इस मामले को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय, स्थायी मध्यस्थता न्यायालय या विश्व बैंक में ले जाने पर विचार कर रहे हैं। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि इन विकल्पों से पाकिस्तान को राहत मिलने की संभावना कम है।

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