भारतीय नौसेना ने बढ़ाई समुद्री ताकत, स्वदेशी अंडरवाटर माइन ‘एमआईजीएम’ का सफल परीक्षण

भारतीय नौसेना ने समुद्री क्षेत्र में अपनी रणनीतिक क्षमता को और मज़बूती दी है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) और नौसेना ने मिलकर एक अत्याधुनिक स्वदेशी अंडरवाटर माइन — मल्टी-इन्फ्लुएंस ग्राउंड माइन (MIGM) — का सफल परीक्षण किया है। यह प्रणाली खासतौर पर उन दुश्मन जहाजों और पनडुब्बियों को चुपचाप निशाना बनाने में सक्षम है, जो स्टील्थ तकनीक से लैस होते हैं।

विशेषज्ञ मानते हैं कि यह माइन प्रणाली पाकिस्तान की गुप्त नौसैनिक गतिविधियों और चीन के साथ उसकी बढ़ती समुद्री साझेदारी के बीच भारत के लिए एक महत्वपूर्ण सामरिक जवाब बन सकती है।

रक्षा मंत्री ने सराहा यह कदम

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस सफलता के लिए DRDO, भारतीय नौसेना और इंडस्ट्री पार्टनर्स को बधाई देते हुए कहा कि यह उपलब्धि भारतीय नौसेना की पनडुब्बी रोधी और समुद्र के नीचे युद्धक क्षमताओं को नया आयाम देगी।

देशी तकनीक से बनी स्मार्ट अंडरवाटर माइन

यह हाई-टेक माइन नौसेना विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी प्रयोगशाला (NSTL), विशाखापट्टनम द्वारा विकसित की गई है, जिसमें DRDO की पुणे स्थित हाई एनर्जी मैटेरियल्स रिसर्च लैब और चंडीगढ़ की टर्मिनल बैलिस्टिक्स लैब का भी योगदान रहा है।

MIGM दुश्मन की पनडुब्बियों और जहाजों को समुद्र की गहराई में स्वतः पहचान कर उन्हें निष्क्रिय करने की क्षमता रखती है। इस परियोजना में भारत डायनामिक्स लिमिटेड और अपोलो माइक्रोसिस्टम्स को निर्माण साझेदार बनाया गया है।

पाकिस्तान-चीन की हरकतों पर लगेगा लगाम

हाल के वर्षों में पाकिस्तान ने कराची और ग्वादर जैसे बंदरगाहों के पास अपनी समुद्री उपस्थिति बढ़ाई है और चीन से प्राप्त स्टील्थ सबमरीन व ड्रोन की मदद से अरब सागर में निगरानी तेज की है। ऐसे में MIGM की तैनाती भारतीय समुद्री सीमा की सुरक्षा को नया बल देगी, खासकर उन समुद्री रास्तों और क्षेत्रों में जहां खतरे की आशंका अधिक है।

MIGM की खास विशेषताएं:

  • मल्टी-सेंसर डिटेक्शन: यह माइन चुंबकीय, ध्वनि तरंग और दबाव आधारित सेंसर का प्रयोग कर टारगेट की पहचान करती है।
  • स्टील्थ प्लेटफॉर्म्स के लिए प्रभावी: विशेष रूप से उन जहाजों और पनडुब्बियों के खिलाफ सक्षम जो आम रडार से बच निकलते हैं।
  • छिपकर तैनाती: इसे गुप्त रूप से समुद्र में लगाया जा सकता है और यह स्वतः सक्रिय हो जाती है।
  • स्मार्ट ट्रिगर मैकेनिज़्म: यह केवल तब एक्टिव होती है जब टारगेट उसकी सभी पहचान शर्तें पूरी करता है, जिससे गलत विस्फोट की संभावना नहीं रहती।
  • लंबी कार्यक्षमता और न्यूनतम रखरखाव: यह प्रणाली लंबे समय तक निष्क्रिय रह सकती है और ज़रूरत पड़ने पर तुरंत सक्रिय हो जाती है।
  • रणनीतिक सुरक्षा में कारगर: तटीय इलाकों, बंदरगाहों और संवेदनशील समुद्री क्षेत्रों की निगरानी और सुरक्षा के लिए बेहद उपयुक्त है।

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