विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने मंगलवार को स्पष्ट किया कि भारत एक खुले और स्वतंत्र हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र के देशों को अपनी सुरक्षा और विकास संबंधी निर्णय लेने की स्वतंत्रता मिलनी चाहिए। क्वाड के अंतर्गत हालिया महीनों में जो पहलें हुई हैं, उनमें उल्लेखनीय प्रगति हुई है। यह वक्तव्य उन्होंने वॉशिंगटन में क्वाड देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक से पहले दिया।
आतंकवाद पर कड़ा रुख अपनाते हुए जयशंकर ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति अपनानी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि पीड़ितों और आतंक फैलाने वालों के बीच कोई तुलना नहीं की जा सकती। भारत को अपने नागरिकों की सुरक्षा का पूरा अधिकार है और वह इस अधिकार का प्रयोग भी करेगा।
जयशंकर ने दिन की शुरुआत में आतंकवादियों को सजा से बच निकलने की छूट पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि अब यह सोच बदलने का समय है कि सीमा पार मौजूद आतंकवादियों को जवाब नहीं दिया जा सकता। भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के जरिये इस मानसिकता को चुनौती दी है।
न्यूयॉर्क में न्यूजवीक के सीईओ देव प्रगाड़ के साथ बातचीत में विदेश मंत्री ने कहा कि भारत अब परमाणु धमकियों से नहीं डरेगा, खासकर जब सीमा पार से आतंकवाद को बढ़ावा दिया जा रहा हो। उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि कोई हमारे देश में घुसपैठ करता है तो भारत भी उसकी जमीन पर जाकर जवाब देगा। अब न तो हम परमाणु डर को महत्व देते हैं, न ही आतंकियों को बख्शते हैं और न ही उन्हें महज किसी का एजेंट मानते हैं। देश की सुरक्षा के लिए जो जरूरी होगा, वह किया जाएगा।
गौरतलब है कि भारतीय सेना ने 7 मई को जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिज्बुल मुजाहिदीन जैसे संगठनों के ठिकानों पर सटीक हमले किए थे। यह कार्रवाई 22 अप्रैल को पहलगाम के बायसरन इलाके में हुए आतंकी हमले की प्रतिक्रिया में की गई, जिसमें 26 लोग मारे गए थे, जिनमें अधिकतर आम नागरिक थे। जवाबी कार्रवाई के तहत पाकिस्तान ने 8 से 10 मई के बीच भारतीय सैन्य ठिकानों पर ड्रोन और मिसाइल हमलों की कोशिश की, जिन्हें भारत ने विफल कर दिया। इसके बाद भारत ने कड़ा जवाब देते हुए पाकिस्तान के एयर डिफेंस सिस्टम, रडार और नियंत्रण केंद्रों पर हमले किए।
जापानी विदेश मंत्री से मुलाकात
वॉशिंगटन में जयशंकर ने जापान के विदेश मंत्री ताकेशी इवाया से भी मुलाकात की। इस दौरान जापानी मंत्री ने कहा कि मौजूदा वैश्विक हालात में भारत-जापान साझेदारी का महत्व और बढ़ गया है। उन्होंने ज़ोर दिया कि मुक्त और स्वतंत्र हिंद-प्रशांत क्षेत्र का विचार आज की दुनिया को संघर्ष और बंटवारे से निकालकर सहयोग की दिशा में ले जाने में मदद कर सकता है।
उन्होंने कहा कि वह क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए भारत के साथ मिलकर कार्य करने को लेकर बेहद उत्साहित हैं। साथ ही क्वाड जैसे मंच के माध्यम से वैश्विक स्थिरता में योगदान देने की बात कही।