राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के महासचिव दत्तात्रेय होसबाले द्वारा संविधान की प्रस्तावना से “समाजवाद” और “धर्मनिरपेक्षता” शब्दों को हटाने की बात कहने के बाद देश की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। इस मुद्दे पर अब कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने दो टूक कहा कि अगर संविधान की किसी भी अवधारणा से छेड़छाड़ की गई, तो कांग्रेस उसका पुरजोर विरोध करेगी और अंत तक संघर्ष करेगी।
“होसबाले संविधान नहीं, मनुस्मृति की सोच के समर्थक”
बेंगलुरु में पत्रकारों से बात करते हुए खरगे ने आरोप लगाया कि दत्तात्रेय होसबाले गरीबों और वंचितों को आगे बढ़ने नहीं देना चाहते। उन्होंने कहा कि होसबाले समाज में सदियों पुरानी व्यवस्था को बनाए रखने की सोच रखते हैं, और यही वजह है कि उन्हें समाजवाद, धर्मनिरपेक्षता और संविधान के मूल सिद्धांतों से आपत्ति है। खरगे ने यह भी कहा कि यह केवल होसबाले की नहीं, बल्कि पूरे संघ की सोच है।
क्या कहा था होसबाले ने?
गौरतलब है कि एक हालिया कार्यक्रम में होसबाले ने कहा था कि प्रस्तावना में ‘समाजवाद’ और ‘धर्मनिरपेक्षता’ शब्द संविधान के प्रारंभिक स्वरूप में शामिल नहीं थे, और इन्हें आपातकाल के दौरान जोड़ा गया था। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि इन शब्दों की प्रासंगिकता पर दोबारा विमर्श किया जाना चाहिए।
आरएसएस पर कमजोर वर्गों के खिलाफ होने का आरोप
खरगे ने आरएसएस पर आरोप लगाया कि वह समाज के वंचित, पिछड़े, दलित और कमजोर तबकों के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि यदि आरएसएस वास्तव में हिंदू धर्म की रक्षा करना चाहता है, तो उसे सबसे पहले छुआछूत और भेदभाव जैसी सामाजिक कुरीतियों को खत्म करने के लिए काम करना चाहिए। उनके अनुसार, संगठन के पास पर्याप्त संसाधन और सदस्य हैं, जिनका उपयोग सकारात्मक सामाजिक बदलाव के लिए किया जाना चाहिए, न कि विभाजनकारी विचार फैलाने के लिए।
संविधान की आत्मा से छेड़छाड़ नहीं करने देंगे: खरगे
राज्यसभा में विपक्ष के नेता खरगे ने कहा कि देश की एकता और सामाजिक सौहार्द बनाए रखना सबसे अहम है। उन्होंने संघ से आग्रह किया कि वह केवल वक्तव्य न दे, बल्कि सामाजिक समरसता के लिए ठोस कार्य करे। खरगे ने जोर देकर कहा कि संविधान की प्रस्तावना देश की आत्मा है और कांग्रेस इसके प्रत्येक शब्द की रक्षा के लिए हर स्तर पर संघर्ष करेगी।
कांग्रेस का स्पष्ट रुख: संविधान के सिद्धांतों की रक्षा करेगी पार्टी
यह बयान ऐसे समय में आया है जब संविधान की मूल भावना और उसके शब्दों को लेकर राष्ट्रीय स्तर पर बहस तेज हो गई है। कांग्रेस ने साफ कर दिया है कि वह भारतीय लोकतंत्र की नींव माने जाने वाले सिद्धांतों—समाजवाद, धर्मनिरपेक्षता और समानता—की रक्षा के लिए पूरी मजबूती से खड़ी रहेगी।