ओडिशा के पुरी में शुक्रवार से भगवान जगन्नाथ की वार्षिक रथ यात्रा का शुभारंभ हुआ, जिसमें देश-विदेश से भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। यह पावन यात्रा जगन्नाथ मंदिर से प्रारंभ होकर गुंडिचा मंदिर तक जाएगी और 12 दिनों तक धार्मिक उत्सवों और परंपराओं के साथ चलेगी। यात्रा का समापन 8 जुलाई 2025 को नीलाद्रि विजय उत्सव के साथ होगा, जब भगवान अपने मूल स्थान पर वापस लौटेंगे।
इस अवसर पर देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने देशवासियों को बधाई देते हुए कहा कि भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा न केवल एक धार्मिक पर्व है, बल्कि यह सांस्कृतिक एकता और मानवता की प्रतीक भी है। उन्होंने महाप्रभु से विश्व में शांति, सद्भाव और प्रेम की कामना की।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस पवित्र यात्रा की बधाई दी और ट्वीट के माध्यम से कहा कि यह उत्सव सभी के जीवन में समृद्धि, सौभाग्य और उत्तम स्वास्थ्य लेकर आए।
रथ यात्रा से पूर्व गुरुवार को हजारों श्रद्धालुओं ने मंदिर के सिंह द्वार पर भगवान बलभद्र, देवी सुभद्रा और भगवान जगन्नाथ के नवयौवन रूप (नबाजौबन दर्शन) के दर्शन किए। मान्यता है कि भगवान जगन्नाथ वर्ष में एक बार अपनी बहन और भाई के साथ अपनी मौसी के निवास स्थान, गुंडिचा मंदिर, जाते हैं।
यात्रा के दिन भगवान को रथों पर विराजित कर उन्हें मंदिर से तीन किलोमीटर दूर गुंडिचा मंदिर तक ले जाया जाता है। रथयात्रा से पहले पारंपरिक ‘छेरापहरा’ अनुष्ठान में, मंदिर के सेवक झाड़ू लगाकर मार्ग को शुद्ध करते हैं।
केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि यह यात्रा भारतीय संस्कृति में सामाजिक समरसता और पारिवारिक मूल्यों का प्रतीक है। वहीं पुरी से सांसद संबित पात्रा ने इसे ओडिशा की अनूठी परंपरा बताया जिसमें भगवान स्वयं अपने भक्तों को दर्शन देने निकलते हैं।
इस पावन अवसर पर अमेरिका से आई इक्वाडोर मूल की एक महिला श्रद्धालु ने अपने भाव साझा करते हुए कहा कि भगवान जगन्नाथ के दर्शन करना और यहां की आध्यात्मिक ऊर्जा में सम्मिलित होना उनके लिए एक स्वप्न के साकार होने जैसा है।
पुरी में आयोजित इस ऐतिहासिक रथ यात्रा के दौरान सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए हैं और पूरे आयोजन स्थल पर उल्लास और भक्ति का वातावरण बना हुआ है।