जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा चलाए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के जरिए पाकिस्तान को सख्त संदेश दिया गया। केंद्र सरकार इस अभियान को वैश्विक मंच पर आतंकवाद के विरुद्ध भारत के सशक्त रुख के रूप में प्रस्तुत कर रही है। वहीं, पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से इस ऑपरेशन को लेकर विधानसभा में एक प्रस्ताव लाया जा रहा है, लेकिन उसमें ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का नाम शामिल नहीं किया गया है, जिस पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने कड़ा ऐतराज जताया है।
राज्य सरकार के द्वारा तैयार किए गए प्रस्ताव के प्रारूप में, जम्मू-कश्मीर में हुए आतंकी हमले की निंदा और सुरक्षाबलों की कार्रवाई की सराहना तो की गई है, लेकिन पूरे मसौदे में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शब्द को हटाया गया है। विधानसभा में यह प्रस्ताव, 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले में मारे गए 26 नागरिकों को श्रद्धांजलि देने और जवाबी कार्रवाई में भारतीय सुरक्षा बलों के प्रयासों की सराहना के उद्देश्य से लाया जाएगा।
नाम बदलकर पेश किया जाएगा प्रस्ताव
राज्य विधानसभा की समिति के अनुसार, प्रस्ताव को ‘सक्सेस ऑफ आर्म्ड फोर्सेस इन कमबैटिंग टेररिस्ट्स’ शीर्षक के साथ पेश किया जाएगा, जिसमें ऑपरेशन का आधिकारिक नाम शामिल नहीं होगा। इस फैसले पर बीजेपी ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है।
‘सशस्त्र बलों का अपमान’ – बीजेपी
बीजेपी विधायक दल के एक वरिष्ठ सदस्य ने कहा कि यह न केवल ऑपरेशन को कमतर आंकना है, बल्कि सुरक्षा बलों की वीरता का भी अपमान है। उन्होंने कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पाकिस्तान और पीओके में स्थित आतंकवादी शिविरों को निशाना बनाकर चलाया गया था और इसका नाम गौरव का प्रतीक है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि प्रस्ताव में नाम न होना यह दर्शाता है कि राज्य सरकार को सशस्त्र बलों के ऑपरेशनों की महत्ता और नामकरण की प्रक्रिया की पूरी समझ नहीं है।
बीजेपी के मुख्य सचेतक शंकर घोष ने राज्य सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि प्रस्ताव तैयार करने वाले लोगों को सुरक्षा संबंधी मुद्दों की बुनियादी जानकारी भी नहीं है। उन्होंने कहा कि यह राजनीतिक मतभेद का विषय नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सम्मान और सशस्त्र बलों की प्रतिष्ठा का मामला है।
पश्चिम बंगाल विधानसभा का मानसून सत्र सोमवार से फिर शुरू हो गया है और मंगलवार को दो घंटे की चर्चा के दौरान यह प्रस्ताव सदन में रखा जाएगा।