‘पश्चिम बंगाल दिवस’ पर सियासी घमासान: भाजपा अध्यक्ष सुकांत मजूमदार हिरासत में

पश्चिम बंगाल में शुक्रवार को उस समय सियासी हलचल तेज हो गई जब भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री सुकांत मजूमदार को कोलकाता पुलिस ने हिरासत में ले लिया। उन्हें लालबाजार स्थित पुलिस मुख्यालय के लॉकअप में रखा गया है। इस घटनाक्रम ने भाजपा और राज्य सरकार के बीच टकराव को और अधिक गहरा कर दिया है।

कार्यक्रम में शामिल होने जा रहे थे सुकांत

शुक्रवार सुबह सुकांत मजूमदार ‘पश्चिम बंगाल दिवस’ के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में भाग लेने के लिए बाइक से नेताजी सुभाष चंद्र बोस के निवास की ओर रवाना हुए थे। इसी दौरान पुलिस ने उन्हें रास्ते में रोक दिया और आगे जाने से मना किया। इसके बावजूद वह बाइक से कार्यक्रम स्थल की ओर निकल पड़े।

कार्यक्रम के बाद जब वह कोलकाता के जाने-माने चिकित्सक डॉ. रजतशुभ्र बनर्जी से मिलने जा रहे थे, तो दोपहर में हरीश मुखर्जी रोड पर उन्हें दोबारा रोका गया। पुलिस ने बाद में उन्हें हिरासत में लेकर वाहन से लालबाजार ले जाया।

सुरक्षा कारणों का हवाला, भाजपा का आरोप– बदले की कार्रवाई

कोलकाता पुलिस ने इस कार्रवाई को सुरक्षा कारणों से उठाया गया कदम बताया है, जबकि भाजपा ने इसे विपक्षी नेताओं को दबाने की रणनीति करार दिया। पार्टी ने आरोप लगाया कि यह कार्रवाई पूरी तरह से राजनीतिक प्रतिशोध के तहत की गई है।

करीब एक घंटे तक सुकांत मजूमदार को कार में बैठाकर रखने के बाद पुलिस ने उन्हें जबरन वाहन में बिठा लिया। इसी दौरान डॉ. रजतशुभ्र बनर्जी भी बाहर आए, जिन्हें भी हिरासत में ले लिया गया।

केंद्रीय मंत्री की प्रतिक्रिया और डॉक्टर का बयान

सुकांत मजूमदार ने हिरासत को लेकर नाराजगी जाहिर की और कहा, “मुझे समझ नहीं आया कि आखिर मुझे क्यों हिरासत में लिया गया। ऐसा व्यवहार किसी लोकतंत्र में नहीं होता।” उन्होंने दावा किया कि उन्हें गिरफ्तार किया गया है और भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ लालबाजार पुलिस लॉकअप में रखा गया है।

डॉ. रजतशुभ्र बनर्जी ने मीडिया को बताया कि यह केवल एक औपचारिक मुलाकात थी। उन्होंने बताया कि उनकी मां केंद्रीय मंत्री से मिलने को लेकर उत्साहित थीं, लेकिन टीवी पर हिरासत की खबर देखकर वह घबरा गईं और रोने लगीं।

भाजपा ने राज्य सरकार को घेरा, किया विरोध प्रदर्शन का ऐलान

इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा नेताओं ने तीखे शब्दों में राज्य सरकार की आलोचना की है। उन्होंने इसे लोकतांत्रिक अधिकारों का खुला उल्लंघन बताया और कहा कि राज्य सरकार विपक्षी नेताओं को स्वतंत्र रूप से कार्यक्रमों में भाग लेने की अनुमति तक नहीं दे रही है।

हालांकि पुलिस की ओर से कोई विस्तृत आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है, परंतु सूत्रों के मुताबिक, यह कदम कानून-व्यवस्था बनाए रखने के उद्देश्य से उठाया गया।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि आगामी विधानसभा चुनावों से पहले भाजपा और सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के बीच टकराव और तेज होता दिखाई दे रहा है। भाजपा ने इस मुद्दे पर राज्यभर में आंदोलन की चेतावनी दी है।

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