कोलकाता लॉ कॉलेज में दुष्कर्म के मुख्य आरोपियों में से एक, मनोजीत मिश्रा की अस्थायी नियुक्ति को लेकर बड़ा खुलासा सामने आया है। आरोप है कि उसे कॉलेज के ही एक प्रभावशाली सदस्य की सिफारिश पर नियमों की अनदेखी करते हुए नियुक्त किया गया था। अब यह मामला खुफिया एजेंसियों के पास जांच के लिए सौंपा जा सकता है।
गवर्निंग बॉडी की मंजूरी पर भी विवाद
सूत्रों के अनुसार, जब मनोजीत की नियुक्ति का प्रस्ताव कॉलेज की गवर्निंग बॉडी के सामने आया था, तब कुल आठ में से केवल चार सदस्यों ने इसके पक्ष में मतदान किया। जबकि नियमानुसार, अस्थायी नियुक्ति को दो-तिहाई बहुमत से मंजूरी मिलनी चाहिए। यह भी सामने आया है कि मनोजीत पर पहले से ही हिंसा, उत्पीड़न और कॉलेज परिसर में अशांति फैलाने के आरोप थे। बावजूद इसके, एक गवर्निंग बॉडी सदस्य, जिन्हें वह चाचा कहकर संबोधित करता था, के दबाव में उसे नौकरी दी गई।
नियुक्ति रद्द, दो छात्र निष्कासित
घटना के सामने आने के बाद कॉलेज प्रशासन ने तत्काल प्रभाव से मनोजीत की संविदा नियुक्ति रद्द कर दी है और उसे अंतरिम अवधि में मिले वेतन को लौटाने के निर्देश दिए हैं। वहीं, इस मामले में संलिप्त दो अन्य छात्रों, जैब अहमद और प्रमित मुखोपाध्याय को संस्थान से निष्कासित कर दिया गया है।
राजनीतिक विवाद भी गरमाया
भाजपा के आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने इस मामले में राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि कॉलेज की गवर्निंग बॉडी के अध्यक्ष और तृणमूल विधायक अशोक कुमार देब की जानकारी और मौजूदगी में मनोजीत की नियुक्ति कैसे हो गई? उन्होंने कहा कि यह सिर्फ एक प्रशासनिक चूक नहीं, बल्कि राजनीतिक संरक्षण का परिणाम है।
मालवीय ने कॉलेज की महिला छात्रों के साथ लगातार होते उत्पीड़न पर भी चिंता जताते हुए दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। उन्होंने यह भी कहा कि गवर्निंग बॉडी में शामिल उन सभी लोगों को इस्तीफा देना चाहिए, जिन्होंने आरोपी को संरक्षण दिया।