सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को शिवसेना (यूबीटी) द्वारा दाखिल उस याचिका पर सुनवाई की, जिसमें महाराष्ट्र में प्रस्तावित निकाय चुनावों को देखते हुए पार्टी के चुनाव चिन्ह पर शीघ्र निर्णय की मांग की गई थी। याचिका में कहा गया कि यदि राज्य में चुनाव अधिसूचना जारी हो गई, तो बाद में चुनाव चिन्ह में कोई बदलाव नहीं किया जा सकेगा। साथ ही यह भी उल्लेख किया गया कि यह मामला पिछले दो वर्षों से लंबित है।
पक्षकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता देवदत्त कामत ने न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ के समक्ष तर्क रखा कि चिन्ह संबंधी विवाद पर शीघ्र निर्णय आवश्यक है, क्योंकि चुनावी प्रक्रिया कभी भी प्रारंभ हो सकती है। हालांकि, कोर्ट ने फिलहाल सुनवाई स्थगित करते हुए अगली तारीख 14 जुलाई 2025 तय की है।
चुनाव आयोग के निर्णय को दी गई चुनौती
गौरतलब है कि जून 2022 में शिवसेना का विभाजन हुआ था, जिसके बाद एक गुट एकनाथ शिंदे और दूसरा गुट उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में सामने आया। दोनों ने पार्टी के पारंपरिक चुनाव चिन्ह ‘धनुष-बाण’ पर दावा जताया, जिस पर फैसला देते हुए चुनाव आयोग ने फरवरी 2023 में शिंदे गुट को मूल शिवसेना और उसका चिन्ह घोषित किया। इस निर्णय को शिवसेना (यूबीटी) ने सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी है।
अब याचिकाकर्ता की मांग है कि कोर्ट निकाय चुनावों से पहले इस विवाद का अंतरिम समाधान निकाले, ताकि चिन्ह को लेकर भ्रम की स्थिति से बचा जा सके।