बेंगलुरु के चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर विजय जुलूस के दौरान हुई भगदड़ और उसमें हुई जनहानि के बाद आलोचनाओं का सामना कर रहे मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने सफाई दी है। रविवार को मीडिया से बातचीत में उन्होंने स्पष्ट किया कि वे समारोह में आयोजक नहीं, सिर्फ एक आमंत्रित अतिथि के तौर पर शामिल हुए थे।
मुख्यमंत्री ने बताया कि कर्नाटक राज्य क्रिकेट संघ (केएससीए) के सचिव और कोषाध्यक्ष ने उन्हें व्यक्तिगत रूप से निमंत्रण दिया था और यह भी बताया गया था कि राज्यपाल भी इस आयोजन में शिरकत करेंगे। उन्होंने कहा, “हमारी सरकार ने इस समारोह का आयोजन नहीं किया, यह पूरी तरह से केएससीए द्वारा आयोजित कार्यक्रम था।”
“स्टेडियम के भीतर का न्यौता नहीं मिला था” – सीएम
सिद्धारमैया ने यह भी कहा कि उन्हें सिर्फ विधान सौधा के पास कार्यक्रम में भाग लेने के लिए बुलाया गया था, न कि स्टेडियम के भीतर किसी आयोजन के लिए। उन्होंने बताया कि वे सिर्फ वहां उपस्थित थे, बाकी विवरणों की जानकारी उन्हें नहीं थी।
मुख्यमंत्री, उनके कैबिनेट सहयोगी और अन्य गणमान्य व्यक्ति विधान सौधा के सामने मौजूद थे, जहां आरसीबी के खिलाड़ियों का विजय जुलूस समाप्त हुआ। यहीं नेताओं ने खिलाड़ियों से भेंट की।
भीड़ और वीआईपी सुरक्षा के बीच संतुलन बिगड़ा, हादसा हुआ
कार्यक्रम के दौरान भारी भीड़ जुटी थी, जो रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर की टीम को देखने पहुंची थी। वहीं, वीआईपी सुरक्षा व्यवस्था के चलते पुलिस बल को दो भागों में बांटना पड़ा – एक ओर गणमान्य लोगों की सुरक्षा और दूसरी ओर भीड़ प्रबंधन। इसी असंतुलन को भगदड़ की वजह बताया जा रहा है।
राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप तेज
भाजपा ने इस घटना के लिए राज्य सरकार को दोषी ठहराया है और आरोप लगाया है कि वीआईपी मौजूदगी ने हालात और बिगाड़े। वहीं कांग्रेस ने कर्नाटक पुलिस को लापरवाही का जिम्मेदार ठहराते हुए बेंगलुरु पुलिस कमिश्नर समेत कई अधिकारियों को निलंबित कर दिया है।
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा ने आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार पुलिस को बलि का बकरा बना रही है। विपक्ष के नेता आर. अशोक ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार को सीधे तौर पर घटना का जिम्मेदार बताया।
उल्लेखनीय है कि इस भगदड़ में अब तक 11 लोगों की जान जा चुकी है और 47 लोग घायल हुए हैं। आरसीबी की 18 वर्षों बाद आईपीएल ट्रॉफी जीतने की खुशी मातम में बदल गई।