भारतीय नौसेना में पहली महिला फाइटर पायलट बनीं सब लेफ्टिनेंट आस्था पूनिया

भारतीय नौसेना ने एक नया इतिहास रचते हुए सब लेफ्टिनेंट आस्था पूनिया को आधिकारिक रूप से फाइटर स्ट्रीम में शामिल कर लिया है। वे इस शाखा में प्रवेश पाने वाली पहली महिला अधिकारी बनी हैं, जिससे महिलाओं के लिए लड़ाकू भूमिकाओं का मार्ग प्रशस्त हुआ है।

‘विंग्स ऑफ गोल्ड’ से सम्मानित

विशाखापत्तनम स्थित आईएनएस डेगा में आयोजित समारोह में आस्था पूनिया को ‘विंग्स ऑफ गोल्ड’ प्रदान किया गया। यह सम्मान नौसेना के फाइटर पायलट बनने की पात्रता का प्रतीक है। यह सम्मान उन्हें सहायक नौसेना स्टाफ (एयर) रियर एडमिरल जनक बेवली द्वारा प्रदान किया गया। इस मौके पर लेफ्टिनेंट अतुल कुमार ढुल को भी यह सम्मान दिया गया। यह अवसर ‘सेकेंड बेसिक हॉक कन्वर्जन कोर्स’ की सफल समाप्ति के उपलक्ष्य में आयोजित हुआ।

1.05 लाख करोड़ रुपये की रक्षा खरीद को स्वीकृति

इसके एक दिन पहले, रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) ने लगभग 1.05 लाख करोड़ रुपये की लागत वाली 10 रक्षा खरीद परियोजनाओं को मंजूरी दी। ये योजनाएं ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद पहली बार हुई उच्चस्तरीय समीक्षा का हिस्सा थीं। प्रस्तावित उपकरणों की खरीद स्वदेशी स्रोतों से की जाएगी ताकि रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता को बल मिल सके।

प्रमुख स्वीकृतियां:

  • क्विक रिएक्शन सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली
  • नौसेना पोतों के लिए विशेष जहाज
  • आर्मर्ड रिकवरी व्हीकल
  • इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम
  • त्रि-सेनाओं के लिए एकीकृत इन्वेंट्री प्रबंधन प्रणाली
  • सुपर रैपिड गन माउंट्स
  • स्वायत्त जलयान और माइंस रोधी जहाज

ऑपरेशन सिंदूर के बाद सुरक्षा तैयारियों की समीक्षा

यह बैठक उस वक्त हुई जब हाल ही में सेना द्वारा आतंकवादी हमले के जवाब में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया। इस कार्रवाई में सेना ने सीमापार किए बिना सटीक हमले कर आतंकियों के ठिकानों को निशाना बनाया था।

नई मिसाइल प्रणाली का प्रस्ताव

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा विकसित की जा रही क्विक रिएक्शन मिसाइल प्रणाली को भी इस बैठक में प्रमुखता मिली। करीब 30,000 करोड़ रुपये लागत की यह प्रणाली 30 किलोमीटर तक हवाई लक्ष्यों को मार गिराने में सक्षम होगी। इसके अंतर्गत तीन एयरक्राफ्ट विदेशी मूल निर्माता से खरीदे जाएंगे और डीआरडीओ तथा निजी उद्योग भागीदारों की मदद से उन्हें विशिष्ट कार्यों के लिए अनुकूलित किया जाएगा।

यह घटनाक्रम रक्षा क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने और महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर माना जा रहा है।

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