सुप्रीम कोर्ट ने गोधरा अग्निकांड के दोषियों की याचिका खारिज की

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को गोधरा ट्रेन अग्निकांड के दोषियों की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें दो जजों की पीठ द्वारा उनकी अपील पर सुनवाई करने पर आपत्ति जताई गई थी। याचिका में यह कहा गया था कि यह मामला मौत की सजा से संबंधित है, इसलिए इसे तीन जजों की पीठ द्वारा सुना जाना चाहिए। याचिकाकर्ताओं के वकील संजय हेगड़े ने जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस अरविंद कुमार से कहा कि पिछले एक मामले, जिसमें मोहम्मद आरिफ उर्फ अशरफ को मौत की सजा दी गई थी, का हवाला देते हुए यह कहा गया था कि मौत की सजा से जुड़े मामलों की सुनवाई तीन जजों की पीठ ही कर सकती है।

सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि तीन जजों की पीठ केवल उन्हीं मामलों पर सुनवाई करेगी, जिनमें उच्च न्यायालय ने मौत की सजा की पुष्टि की हो। जस्टिस माहेश्वरी ने स्पष्ट किया कि इस मामले में गुजरात उच्च न्यायालय ने 11 दोषियों की मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया था, और केवल ट्रायल कोर्ट ने ही मौत की सजा सुनाई थी। इसलिए इस मामले में दो जजों की पीठ सुनवाई कर सकती है।

सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ ने सितंबर 2014 में अपने एक निर्णय में कहा था कि मौत की सजा से जुड़े सभी मामले, जिनमें उच्च न्यायालय ने फैसले की पुष्टि की हो, उन्हें तीन जजों की पीठ द्वारा सुना जाएगा।

गोधरा ट्रेन अग्निकांड 27 फरवरी, 2002 को हुआ था, जब साबरमती एक्सप्रेस के एस-6 कोच में आग लगने से 59 लोग मारे गए थे, जिसके बाद राज्य में दंगे भड़क गए थे। सत्र न्यायालय ने दोषियों को मौत की सजा सुनाई थी, लेकिन गुजरात उच्च न्यायालय ने 2017 में 31 दोषियों की सजा को बरकरार रखा और 11 दोषियों की मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया। गुजरात सरकार ने इस फैसले का विरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट में अपील की है।

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