नई दिल्ली। देश में आपातकाल लगाए जाने के 50 साल पूरे होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित कई प्रमुख नेताओं ने इस दिन को ‘संविधान हत्या दिवस’ के रूप में स्मरण किया। प्रधानमंत्री मोदी ने इसे भारतीय लोकतंत्र के इतिहास का एक अत्यंत अंधकारमय कालखंड करार दिया। साथ ही उन्होंने एक नई पुस्तक का उल्लेख किया जिसमें आपातकाल के दौरान उनके संघर्षों और अनुभवों को विस्तार से प्रस्तुत किया गया है।
‘द इमरजेंसी डायरीज’ में दर्ज हैं पीएम मोदी के अनुभव
ब्लूक्राफ्ट डिजिटल फाउंडेशन द्वारा प्रकाशित की जा रही पुस्तक ‘द इमरजेंसी डायरीज – इयर्स दैट फोर्ज्ड ए लीडर’ में उस दौर की घटनाओं का वर्णन है, जब नरेंद्र मोदी एक युवा स्वयंसेवक के रूप में आपातकाल विरोधी आंदोलनों में सक्रिय रहे। यह पुस्तक उन साथियों के अनुभवों और अभिलेखीय साक्ष्यों पर आधारित है, जिन्होंने आपातकाल के दौरान पीएम मोदी के साथ काम किया। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह इस पुस्तक का बुधवार शाम विमोचन करेंगे।
‘आपातकाल विरोध’ से मिली सीख: पीएम मोदी
प्रधानमंत्री ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा, “जब देश में आपातकाल थोपा गया, तब मैं आरएसएस का एक युवा प्रचारक था। वह दौर मेरे लिए लोकतंत्र की अहमियत को समझने और जन आंदोलनों के अनुभव प्राप्त करने का समय था।” उन्होंने बताया कि इस किताब की प्रस्तावना पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा ने लिखी है, जो स्वयं भी आपातकाल विरोधी आंदोलन का हिस्सा रहे थे।
जनता से अनुभव साझा करने की अपील
प्रधानमंत्री ने आपातकाल के समय के संघर्षों को साझा करते हुए देशवासियों से अपील की कि वे उस दौर के अपने या अपने परिवार के अनुभवों को सोशल मीडिया पर साझा करें। उन्होंने कहा कि इससे युवाओं को 1975 से 1977 के उस संकटपूर्ण कालखंड के बारे में जागरूक किया जा सकेगा।
जेपी नड्डा ने पुस्तक पढ़ने की दी सलाह
भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने ‘द इमरजेंसी डायरीज’ को पढ़ने की सिफारिश करते हुए कहा कि यह पुस्तक आपातकाल के विरुद्ध संघर्ष में पीएम मोदी की भूमिका को रेखांकित करती है। उन्होंने कहा कि उस समय इंदिरा गांधी के नेतृत्व में देश को परिवारवाद और सत्ता केंद्रित राजनीति की दिशा में मोड़ दिया गया था, जिसे याद रखना आवश्यक है।