भारत में हर गुज़रते साल के साथ गर्मी का असर तेज़ होता जा रहा है। साल 2025 अभी आधा भी नहीं बीता है और देश के कई हिस्सों में गर्मी ने लोगों का जीना मुश्किल कर दिया है। अप्रैल तक 10 से अधिक राज्यों में लू के हालात बन चुके हैं, जिससे लोग घरों में रहने को मजबूर हैं।
2024 को वैश्विक स्तर पर सबसे गर्म साल घोषित किया गया था और भारत में यह दशक की सबसे लंबी और तीव्र गर्मी के रूप में दर्ज हुआ था। उस वर्ष कई राज्यों में लगातार पूरे महीने तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर बना रहा था, जिससे हीट स्ट्रोक के 44,000 से ज़्यादा मामले दर्ज किए गए।
आर्थिक और मानव संसाधन पर गहराता असर
एक रिपोर्ट के अनुसार, यदि यही स्थिति बनी रही तो भारत 2030 तक लगभग 3.5 करोड़ नौकरियाँ गंवा सकता है और देश की GDP में लगभग 4.5 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है।
खतरे की जद में 76% आबादी
स्टडी में यह भी सामने आया कि देश के 57% जिले, जिनमें भारत की 76% जनसंख्या निवास करती है, अत्यधिक गर्मी के ख़तरे में हैं। सबसे अधिक संवेदनशील क्षेत्र हैं:
दिल्ली, महाराष्ट्र, गोवा, केरल, गुजरात, राजस्थान, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश।
दिन के मुकाबले रातें हो रहीं ज़्यादा गर्म
1981 से 2022 तक के आंकड़ों पर नज़र डालें तो पता चलता है कि तापमान में बढ़ोतरी पिछले दशक में रातों के समय अधिक तेज़ रही है। मार्च से जून के दौरान 70% जिलों में रात का तापमान असामान्य रूप से अधिक रहा, जबकि केवल 28% जिलों में ही दिन में गर्मी में समान वृद्धि देखी गई। गर्म रातें स्वास्थ्य के लिहाज़ से खतरनाक होती हैं, क्योंकि वे शरीर को दिन की गर्मी से उबरने का अवसर नहीं देतीं।
घनी आबादी वाले इलाकों में गर्म रातों की दर अधिक
बहुत गर्म रातों का ट्रेंड प्रमुख महानगरों में साफ देखा गया है:
- मुंबई में हर साल औसतन 15 रातें अत्यधिक गर्म रहीं,
- बेंगलुरु में 11,
- भोपाल और जयपुर में 7-7,
- दिल्ली में 6 और
- चेन्नई में 4।
गर्मी बढ़ाने में शहरीकरण और उमस की बड़ी भूमिका
उत्तरी भारत और गंगा के मैदान में गर्मियों में नमी का स्तर भी बढ़ा है, जो गर्मी की तीव्रता को और अधिक खतरनाक बना रहा है। दिल्ली, चंडीगढ़, कानपुर, वाराणसी और जयपुर जैसे परंपरागत रूप से शुष्क शहरों में भी अब आर्द्रता बढ़ने लगी है।
वहीं, 2005 से 2023 के बीच पुणे, कोल्हापुर, मैसूर, अजमेर, गुरुग्राम और गुवाहाटी जैसे शहरों में तेज़ी से निर्माण कार्य हुआ है। इन शहरों की कंक्रीट की सतहें दिन में गर्मी सोखती हैं और रात में छोड़ती हैं, जिससे रात का तापमान और अधिक बढ़ जाता है।