‘बंगाल में महिलाओं की कोई सुरक्षा नहीं’, सामूहिक दुष्कर्म पर भाजपा का ममता सरकार पर हमला

कोलकाता। पश्चिम बंगाल में हुए सामूहिक दुष्कर्म की घटना को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सरकार पर तीखा हमला बोला है। भाजपा प्रवक्ता डॉ. संबित पात्रा ने इस घटना को राज्य सरकार की असंवेदनशीलता और राजनीतिक संरक्षण का परिणाम बताया है।

उन्होंने कहा, “जब किसी राज्य की मुख्यमंत्री स्वयं महिला हों, तो वहां महिलाओं की सुरक्षा को प्राथमिकता मिलनी चाहिए। मगर पीड़िता के बयान से यह प्रतीत होता है कि यह अमानवीय कृत्य कहीं न कहीं राजनीतिक संरक्षण प्राप्त था।”

भाजपा ने गठित की जांच समिति

डॉ. पात्रा ने प्रेस वार्ता में बताया कि भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने मामले की जांच के लिए एक चार सदस्यीय समिति बनाई है, जो घटनास्थल का दौरा कर पूरी स्थिति की जानकारी एकत्र करेगी। इस समिति में पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. सतपाल सिंह, केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी, राज्यसभा सांसद बिप्लव देव और वरिष्ठ अधिवक्ता मनन मिश्रा शामिल हैं। यह टीम अपनी रिपोर्ट सीधे पार्टी नेतृत्व को सौंपेगी।

मुख्य आरोपी के टीएमसी कनेक्शन पर सवाल

भाजपा का आरोप है कि इस घटना का मुख्य आरोपी तृणमूल कांग्रेस की छात्र इकाई से जुड़ा हुआ रहा है और उसे कई मौकों पर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ देखा गया है। भाजपा का कहना है कि टीएमसी के वरिष्ठ नेताओं के साथ आरोपी की तस्वीरें यह साबित करती हैं कि उसे राजनीतिक संरक्षण प्राप्त था।

डॉ. पात्रा ने दावा किया, “पीड़िता को हॉकी स्टिक से पीटा गया और उसके साथ अमानवीय व्यवहार किया गया। उसे तत्काल चिकित्सकीय सहायता नहीं दी गई, जो अपने आप में गंभीर लापरवाही है।”

राज्यपाल शासन और केंद्रीय बलों की मांग

बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने राज्य में राष्ट्रपति शासन की मांग दोहराई है। उन्होंने कहा कि राज्य में कानून-व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी है और आम नागरिक, विशेषकर महिलाएं, असुरक्षित महसूस कर रही हैं। उन्होंने कहा कि “जब तक ममता बनर्जी की सरकार सत्ता में रहेगी, तब तक ऐसी घटनाएं रुकने की उम्मीद नहीं की जा सकती।”

आरोपियों पर मामूली धाराएं, पीड़िता बची – यह राहत की बात: अग्निमित्रा पाल

भाजपा विधायक अग्निमित्रा पाल ने आरोप लगाया कि अभियुक्तों पर जानबूझकर हल्की धाराएं लगाई गई हैं ताकि कुछ समय बाद उन्हें छोड़ा जा सके। उन्होंने कहा कि “इस मामले में केवल एक राहत की बात यह है कि पीड़िता की जान नहीं गई। कॉलेज प्रशासन और सुरक्षा तंत्र पर सवाल उठते हैं। मुख्यमंत्री को इसका जवाब देना चाहिए।”

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