भारत-पाकिस्तान के बीच संघर्षविराम को लेकर अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा खुद को मध्यस्थ बताने के दावे को एक बार फिर भारत ने सिरे से नकार दिया है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने स्पष्ट किया है कि सीजफायर का निर्णय भारत की स्वतंत्र रणनीति का हिस्सा था और इसमें अमेरिका की कोई भूमिका नहीं रही।
‘सीजफायर और व्यापार में कोई संबंध नहीं’
न्यूयॉर्क स्थित एक कार्यक्रम में न्यूजवीक को दिए इंटरव्यू में जयशंकर ने कहा कि जब अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने 9 मई की रात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फोन किया था, उस वक्त वे भी उनके साथ मौजूद थे। उन्होंने कहा, “भारत के दृष्टिकोण से सीजफायर और व्यापार के बीच कोई संबंध नहीं था। उस बातचीत में अमेरिका ने पाकिस्तान द्वारा संभावित हमले की बात कही थी, लेकिन पीएम मोदी ने स्पष्ट कर दिया कि भारत हर स्थिति के लिए तैयार है और किसी धमकी से पीछे नहीं हटेगा।”
भारतीय सेना ने दिया करारा जवाब
जयशंकर ने बताया कि 9 मई की रात पाकिस्तान की ओर से भारत पर भारी गोलाबारी की गई थी, जिसका जवाब भारतीय सेना ने मजबूती से दिया। इसके अगले दिन अमेरिकी विदेश मंत्री और भारतीय विदेश मंत्री के बीच संपर्क हुआ, जिसमें अमेरिका की ओर से बताया गया कि पाकिस्तान अब बातचीत के लिए तैयार है। इसके कुछ ही समय बाद पाकिस्तान सेना के डीजीएमओ मेजर जनरल काशिफ अब्दुल्ला ने भारत के लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई से सीजफायर के प्रस्ताव पर बातचीत की।
कश्मीर हमले को बताया ‘आर्थिक युद्ध’
22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले को लेकर जयशंकर ने कहा कि यह सिर्फ सुरक्षा पर नहीं, बल्कि कश्मीर की अर्थव्यवस्था पर सीधा हमला था। उन्होंने इसे “आर्थिक युद्ध” करार देते हुए कहा, “इस हमले का मकसद घाटी में पर्यटन गतिविधियों को बाधित करना था, जो वहां की आर्थिकी का बड़ा हिस्सा है। साथ ही यह धार्मिक विद्वेष फैलाने की साजिश भी थी, क्योंकि हमला करने से पहले लोगों से उनका धर्म पूछा गया।”