वक्फ बिल: सुप्रीम कोर्ट में आज नहीं हुई सुनवाई, अब फैसला अगले हफ्ते तक टला

वक्फ संशोधन अधिनियम की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने करीब दो सप्ताह बाद फिर से सुनवाई शुरू की। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस पी.वी. संजय कुमार और जस्टिस के.वी. विश्वनाथन की पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही थी। जैसे ही सुनवाई आरंभ हुई, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत से अनुरोध किया कि मामले की सुनवाई को एक सप्ताह के लिए स्थगित किया जाए। अदालत ने इस अनुरोध को स्वीकार कर लिया और अब अगली सुनवाई 15 मई को निर्धारित की गई है।

सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश ने यह स्पष्ट किया कि उन्होंने सरकार और अन्य पक्षों द्वारा दाखिल सभी याचिकाओं और जवाबों का अध्ययन कर लिया है। उन्होंने कहा कि याचिकाओं में वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण और आंकड़ों के आधार पर कई महत्वपूर्ण प्रश्न उठाए गए हैं। चूंकि मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना का कार्यकाल समाप्ति की ओर है, इसलिए वे अंतिम चरण में कोई निर्णय सुरक्षित नहीं रखना चाहते। ऐसे में अब अगली सुनवाई नवनियुक्त मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बी.आर. गवई की अध्यक्षता में होगी।

वक्फ संशोधन अधिनियम: पृष्ठभूमि और विवाद

1995 के वक्फ अधिनियम में केंद्र सरकार ने हाल ही में संशोधन किया था, जिसका उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और निगरानी को प्रभावी बनाना है। लेकिन कुछ याचिकाकर्ताओं ने इसे धार्मिक स्वतंत्रता और मौलिक अधिकारों का उल्लंघन बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। यह संशोधन लोकसभा में 3 अप्रैल और राज्यसभा में 4 अप्रैल को पारित हुआ था, जिसे राष्ट्रपति की मंजूरी 5 अप्रैल को मिली।

इस कानून का समर्थन केंद्र सरकार के साथ-साथ भाजपा शासित कई राज्य सरकारें कर रही हैं। वहीं, इसका विरोध कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद और AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी जैसे नेताओं द्वारा किया गया है। पिछली सुनवाई के दौरान सरकार ने यह भरोसा दिलाया था कि जिन प्रावधानों को लेकर विवाद है—जैसे उपयोग के आधार पर संपत्ति को वक्फ घोषित करना, अदालत द्वारा घोषित वक्फ संपत्तियां, और वक्फ बोर्डों में गैर-मुसलमानों की भागीदारी—उन पर फिलहाल कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी।

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