पति-पत्नी के बीच अलगाव के यूं तो कई किस्से अक्सर सामने आते हैं, लेकिन क्या आप सोच सकते हैं कि कोई पति अपनी पत्नी को बहन बता दे। चौंक गए न, मगर यह हुआ है। पत्नी को गुजारा भत्ता न देना पड़े इसके लिए पति ने कोर्ट के सामने कहा कि पत्नी नहीं, बहन है।
मामला इंदौर का है। यहां कुटुंब न्यायालय में यह मामला सामने आया है। वकील प्रीति मेहना के अनुसार पति की उम्र 75 वर्ष और पत्नी की उम्र 73 वर्ष है। गुजारा भत्ते को लेकर पत्नी ने कुटुंब न्यायालय में अर्जी लगाई थी, जिस पर कोर्ट ने पत्नी के पक्ष में फैसला दिया है। जानकारी के अनुसार इंदौर निवासी एक महिला का विवाह 40 साल पहले यवतमाल महाराष्ट्र निवासी व्यक्ति से हुआ था। 1997 तक दोनों इंदौर में रहे। इसके बाद पति यह कहकर महाराष्ट्र चला गया कि मां की तबीयत खराब है। कुछ महीनों तक उसने इंदौर में रह रही अपनी पत्नी को रुपये भेजे। बाद में पत्नी ने भी महाराष्ट्र चलने की इच्छा जताई तो पति ने ले जाने से मना कर दिया। इसके बाद 2006 तक पति इंदौर आकर कभी कभार पत्नी के साथ ऱहता और उसे खर्च के रुपये देकर वापस चला जाता। कुछ समय पत्नी भी सास की देखरेख के लिए साल में दो बार महाराष्ट्र जाने लगी। 2007 में पति ने अपनी पत्नी को महाराष्ट्र बार-बार नहीं आने की बात की। उसने खुद भी इंदौर आने से मना कर दिया। पत्नी ने जब यह बात नहीं मानी तो 2008 से पति ने पत्नी को घर खर्च देना बंद कर दिया।
जवाब में कहा-बहन समान रखा है
सास की मृत्यु हो जाने पर जब पत्नी महाराष्ट्र गई तो कुछ दिन वहां रहने पर पति ने झगड़ा कर खर्च देने से इंकार कर दिया और घर से बाहर निकाल दिया। इसके बाद पत्नी ने अपने वकील के माध्यम से पति को खर्च का नोटिस भेजा। पति दो दिन के लिए इंदौर आया और पत्नी को बताया कि उसकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। यवतमाल का घर 1 करोड़ में बिकेगा तो उसमें खुद को 50 लाख मिलेंगे। इसके बाद पति वापस चला गया। कई साल तक जवाब नहीं आने पर साल 2015 दोबारा नोटिस भेजा। इसमें इंदौर आने के लिए पति ने इंकार कर दिया। 73 वर्षीय पत्नी ने स्वास्थ्य ठीक नहीं रहने, दवाई के खर्च, इलाज और भरण पोषण के लिए कुटुम्ब न्यायालय इंदौर में 2016 में याचिका लगाई। जब कोर्ट ने पति को नोटिस भेजा तो पति ने जवाब देकर महिला को पत्नी मानने से इंकार कर दिया। जवाब में कहा कि उसे बहन के समान रखा है। इसके बाद पत्नी ने नगर निगम का राशन कार्ड कोर्ट में पेश किया। इस पर कुटुम्ब न्यायालय की अतिरिक्त प्रधान न्यायाधीश प्रवीणा व्यास ने अपने फैसले में पत्नी द्वारा पेश सबूतों और उसके पति के साथ लंबी अवधि तक साथ रहने के आधार पर 73 वर्षीय महिला को 75 वर्षीय पुरुष की पत्नी मान महिला के हित में फैसला सुनाया।