समाजवादी पार्टी का मुस्लिम चेहरा और खुद को रामपुर का बेताज बादशाह बताने वाले आजम खान ने रामपुर विधानसभा उप-चुनाव में सपा के उम्मीदवार आसिम रजा के समर्थन में जुटी मुसलमानों की भीड़ को सम्बोधित करते हुए कहा कि भाजपा मुसलमानों का वोट देने का अधिकार खत्म करने जा रही है। भाजपा ने मेरी विधायकी खत्म कर एक ट्रायल किया है कि मुसलमान इसका विरोध करेंगे या बुजदिलों की तरह चुप बैठे रहेंगे। अगर बुजदिली दिखाओगे तो तुम से बेहतर तो वह जानवर है जो रात में भी ढूंढ कर अपना खाना खा लेता है।
स्वतंत्रता प्राप्ति के फौरन बाद अनेक मुस्लिम नेता निर्वाचित हो कर संसद एवं विधानमंडलों में पहुंचे थे किन्तु उनकी जीत का आधार तास्सुब, साम्प्रदायिकता और बहुसंख्यक समाज से घृणा नहीं था। क्षेत्रीय जातिवादी – परिवारवादी दलों ने, और कांग्रेस जैसी बड़ी पार्टी ने भी मुस्लिमों के ज़हन में साम्प्रदायिकता, घृणा और मुख्य राष्ट्रीय धारा से अलग रहने का ज़हर घोलना शुरू किया। असदुद्दीन ओवैसी और आजम खान जैसे नेताओं का एकमात्र लक्ष्य मुसलमानों को जुमलेबाजी व लटके-झटके सुना कर उन्हें अपना चुनावी मोहरा बनाना रह गया।
सीएए, एन.आर.सी, हिजाब, यूसीसी की आड़ में ये नेता अपना वोट बैंक मजबूत करते हैं। धार्मिक भावनाओं को भड़का कर ही आजम खान 10 बार विधायक बनने और बीवी तथा लड़के को संसद व विधानसभा में भेजने में कामयाब हुए। भड़काना, भटकाना, गुमराह करना इनका ब्रह्मास्त्र हैं।
खेद है कि घोर साम्प्रदायिकता और जनूनी माहौल बनाने वाले नेताओं पर निर्वाचन आयोग तथा न्यायपालिका का अंकुश नहीं है। यही कारण है कि आजम खान ने दूसरी सबसे बड़ी जनसंख्या का मताधिकार खत्म करने का ख़तरनाक झूठ बोलने का दुस्साहस किया।
गोविंद वर्मा
संपादक ‘देहात’