जयपुर की कांग्रेसी नौटंकी !

लगभग तीन वर्षों से राजस्थान में अशोक गहलोत व सचिन पायलट के बीच चूहे-बिल्ली का खेल चल रहा है। चूँकि सचिन की पीठ पर सोनिया परिवार का हाथ है, इसलिए वे खुद को बिल्ली समझते आ रहे है। राजस्थान का मुख्यमंत्री बनने के लिए वे भारत को जोड़ने में लगे राहुल गाँधी की यात्रा में केरल के शहर कोच्ची भी पहुंचे इससे पहले अशोक गहलोत ने कहा था कि मैं बैगन नहीं बेचता, राजनीति करता हूँ। और उन्होंने राजनीति कर दी। सोनिया परिवार ने मल्लिका अर्जुन खड़गे व अजय माखन को यह कहकर जयपुर भेजा कि वे कांग्रेस विधायकों की बैठक बुलाकर सर्व-सम्मति से प्रस्ताव पारित कराये कि हाई कमान जिसे चाहे उसे मुख्यमंत्री बना दे।

गहलोत समर्थक 92 विधायक इस बैठक में हाजिर ही नही हुए। इसके विपरीत इन विधायको ने यह कहकर अपने त्याग पत्र विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी को सौंप दिये कि वे राजस्थान में मुख्यमंत्री बदलना नहीं चाहते। कांग्रेस हाईकमान को इतना बड़ा झटका आज तक किसी ने नही दिया था।

सोनिया, विशेषकर राहुल गाँधी ने जो मुर्खता और बचकानापन पंजाब में कैप्टन अमरेंद्रर सिंह को हटाकर किया था वैसा ही वे राजस्थान में करना चाहते थे। इस घटनाक्रम से सिद्ध होता है कि सोनिया परिवार का दबदबा पार्टी में निरंतन कम होता जा रहा है। खेद है कि सोनिया परिवार अपने अहंकार व नासमझी के कारण पार्टी की कब्र खोदने को उतारू है। सम्भवत: इसके लिए उनके इर्द-गिर्द की चापलूस मन्डली भी उत्तरदायी है।

सीमावर्ती राज्य होने से और लंपी वायरल के कारण लाखों की संख्या में गौवंश की मृत्यु से उत्पन्न स्थिति को सुलझाने के बजाये कई वर्षों से हाईकमान पायलट-पायलट का खेल, खेल रही है। यह सोनिया परिवार की मूढ़ता की पराकास्टा है।

गोविन्द वर्मा
संपादक ‘देहात’

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