झारखण्ड:भ्रष्टाचार और अनियमितता का आरोप लगाते हुए सरकार के खिलाफ जमकर विरोध

झारखंड विधानसभा का पांच दिवसीय शीतकालीन सत्र बुधवार को संपन्न हो गया। सत्र में 2,926 करोड़ रुपये का द्वितीय अनुपूरक बजट पारित करने के अलावा मॉब लिंचिंग के खिलाफ विशेष कानून से जुड़ा विधेयक पारित किया गया जिसके बाद विधानसभा की कार्यवाही अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दी गई।

16 दिसंबर को शुरू हुए सत्र में विपक्ष ने झारखंड लोक सेवा आयोग की परीक्षा में भ्रष्टाचार और अनियमितता का आरोप लगाते हुए सरकार के खिलाफ जमकर विरोध जताया और इसकी सीबीआई जांच की मांग की। इस मुद्दे पर हंगामे के कारण कई बार कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। हालांकि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इसमें कोई रुचि नहीं ली और दावा किया कि इन परीक्षाओं पर अंगुली उठाने वाले ‘मनुवादी’ हैं जो दलितों एवं आदिवासियों का कल्याण नहीं चाहते।

शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन वित्त वर्ष 2021-22 के लिए 2,926 करोड़ रुपये का दूसरा अनुपूरक व्यय विवरण विधानसभा में पेश किया गया। इसे 20 दिसंबर को पारित किया गया था। विधानसभा में मंगलवार को एक बेहद महत्वपूर्ण झारखंड (भीड़ हिंसा एवं मॉब लिंचिंग) विधेयक, 2021 को सदन में पेश किया गया और इसे ध्वनिमत से सदन ने पारित कर दिया, जिससे इसके कानून बनने का रास्ता साफ हो गया।

अंतिम दिन तीन विधेयक किए गए पारित
सत्र के अंतिम दिन नियमित कार्यों के साथ वित्त मंत्री ने भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की ऑडिट रिपोर्ट पेश की। इसके अलावा अंतिम दिन कुल तीन विधेयक ‘कोर्ट फीस (झारखंड संशोधन) विधेयक, 2021’ , ‘झारखंड विद्युत शुल्क (संशोधन) विधेयक, 2021’ और ‘पंडित रघुनाथ मुर्मू जनजातीय विश्वविद्यालय विधेयक, 2021’ पारित किए गए।

शीतकालीन सत्र में मुख्य विपक्षी भाजपा ने जेपीएससी की प्रारंभिक परीक्षाओं में कथित भ्रष्टाचार को मुख्य मुद्दा बनाया और इस मुद्दे पर अनेक बार सदन की कार्यवाही स्थगित भी करनी पड़ी। विधानसभाध्यक्ष रवीन्द्रनाथ महतो ने सत्र के अंत में अपने भाषण में बताया कि पूरे सत्र में कुल 293 प्रश्न स्वीकृत किए गए। 99 शून्यकाल प्राप्त हुए जिनमें 88 स्वीकृत हुए। ध्यानाकर्षण की 20 सूचनाएं स्वीकृत हुईं। लोकहित के विषयों पर कुल 31 निवेदन की सूचनाएं और 36 गैर सरकारी संकल्प लिए गए।
आरक्षण बढ़ाने पर विचार करने के लिए झारखंड कैबिनेट जल्दा ही उपसमिति का करेगा गठन
संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम ने बुधवार को विधानसभा में कहा कि झारखंड सरकार जल्द ही राज्य में अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और पिछड़ा वर्ग (बीसी) के लिए आरक्षण बढ़ाने पर विचार करने के लिए मंत्रिमंडलीय उपसमिति बना सकती है। ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) के अध्यक्ष एवं विधायक सुदेश महतो द्वारा इस संबंध में विधानसभा में लाए गए गैर सरकारी संकल्प (निजी विधेयक) पर चर्चा के दौरान संसदीय कार्यमंत्री आलमगीर ने यह जानकारी दी।

आलम ने बताया कि राज्य सरकार पहले से ही इस मुद्दे पर विचार कर रही है और शीघ्र ही इस पर कोई निर्णय लिया जाएगा जिसके लिए पहले विचारार्थ एक मंत्रिमंडलीय उपसमिति का गठन किया जाएगा। इससे पूर्व सुदेश महतो ने राज्य में कुल आरक्षण बढ़ाकर 73 प्रतिशत करने का निजी विधेयक पेश किया। जिसमें एसटी के लिए 32 फीसदी, एससी के लिए 14 फीसदी और बीसी के लिए 27 फीसदी आरक्षण शामिल हैं। महतो की अनुपस्थिति में विधानसभा में उनका विधेयक उनकी पार्टी के विधायक लंबोदर महतो ने पेश किया।

आलमगीर आलम ने आजसू के विधायक सुदेश कुमार महतो की ओर से सदन में लाए गए इस गैर सरकारी संकल्प के जवाब में बताया कि आरक्षण का प्रतिशत बढ़ाने के प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है और इसके लिए अगले दो महीने में उपसमिति बनाई जाएगी।

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