बिहार के अरवल जिले के एक गांव से दिल दहलाने वाला समाचार आया है। गांव का नंदा कुशवाह नाम का गुंडा एक महिला से आये दिन छेड़-छाड़ करता रहता था। कुशवाह की गुंडागर्दी से तंग आकर महिला ने गुंडे की शिकायत पुलिस से की। पुलिस ने महिला की शिकायत अनसुनी कर दी। गुंडे के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की। पुलिस की लापरवाही का परिणाम यह निकला कि नंदा कुशवाह ने महिला और उसकी 4 वर्षीया लड़की को आग लगा कर जिन्दा जला दिया। महिला की रविवार को अस्पताल में मृत्यु हो गई और लड़की इतनी गम्भीर स्थिति में हैं कि कभी भी मर सकती है।
आठवीं बार राजनीतिक जोड़तोड़ से मुख्यमंत्री बने नीतीश कुमार खुद को सुशासन बाबू कहते हैं लेकिन कुर्सी हेतु जंगलराज के लिए कुख्यात लालू परिवार से हाथ मिलाने में संकोच नहीं किया।
जिस दिन नीतीश कुमार लालू पुत्र तेजस्वी यादव की मदद से मुख्यमंत्री बने, उसी दिन पटना और नालन्दा जिले में हत्या, लूट, फौजदारी की दुस्साहिक वारदातें हुई थीं। तेजस्वी यादव के उपमुख्यमंत्री बनते ही बिहार में भाजपा समर्थकों पर हमलों व हत्याओं की घटनायें फिर से बढ़ने लगीं। जाति व परिवारवादी सत्ता स्थापित होते ही बाहुबली और जातिवादी छत्रप और उनके दुम-छल्ले फिर से सक्रिय हो गए हैं। बिहार का दुर्भाग्य है कि वहा लोकतंत्र की आड़ में जातिवादी-परिवारवादी सत्ता स्थापित करने का चलन बना हुआ है।
इसी बिहार ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश की तर्ज से बूथ कैप्चरिंग या ठप्पावाद चलाया था। जातिवादी सत्ता के चलते गरीब, कमजोर वर्गों की हकतलफी होती है। अरवल जिले में एक गरीब महिला व उसकी नन्हीं बेटी का जिन्दा जला देने की घटना जंगलराज फिर से लौटने का दुःखद उदाहरण है।
गोविंद वर्मा
संपादक ‘देहात’