यह संतोष की बात है कि जिलाधिकारी चंद्रभूषण सिंह ने दो वर्ष बाद होने जा रही कांवड़ यात्रा को निरापद व सुचारू बनाने के लिए तमाम अधिकारियों तथा विभाग प्रमुखों की बैठक बुला कर सभी आवश्यक निर्देष दिए हैं। कांवड़ यात्रा की सभी तैयारियां 30 जून तक पूर्ण कर लेने की ताकीद भी दी गयी है। आशा की जानी चाहिए कि जो-जो निर्देश दिए गए व प्रबंध किये गए हैं, यदि निष्ठापूर्वक ईमानदारी से उन पर अमल हुआ तो कांवड़ यात्रियों को बड़ी राहत पहुंचेगी।
इसका दूसरा पहलु यह है कि बड़े अधिकारी तो अपने कर्तव्यों के प्रति सचेत रहते हैं किन्तु नीचे के स्तर पर सरकारी अमला रस्मअदायगी भर कर अपनी जिम्मेदारियों से मुक्त हो जाता है। इसका ताजा उदाहरण यह है कि ग्राम फलौदा के मुख्य मार्ग पर टूटी पुलिया की मरम्मत लोक निर्माण विभाग ने दिखाऊ आरजी तौर पर कर दी, फलस्वरूप पुलिया दो-चार दिनों बाद ही बेकार हो गयी। फलौदा निवासियों का कहना है कि पानी की निकासी के लिए छोटे-छोटे पाइप डालकर कर्तव्य की इतिश्री कर दी गयी। इसी प्रकार एक दिन पूर्व जब वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अभिषेक यादव कांवड़ मार्ग के निरीक्षण को गए तो बझेडी के अंडरपास में उन्हें पानी भरा मिला।
यह सरकारी अमले की परम्परागत लाहपरवाही और खानापूरी करने का एक छोटा सा उदाहरण है, जिसकी सरकारी मशीनरी अभ्यस्त हों चुकी है। वे जानते हैं कि कांवड़ यात्री दूर-दूर से आते हैं, अपनी परेशानियों का रोना रोने जिलाधिकारी या एसएसपी साहब के पास नहीं जा सकते। अतीत में इस प्रकार की लापरवाहियां होती रही हैं। लाखों कांवड़ यात्री मुज़फ्फरनगर जिले की सड़कों से होकर गुजरते हैं। उनकी सुविधाओं के लिए उच्च अधिकारियों की सतर्क निगाह व सख्ती की जरुरत है।
गोविन्द वर्मा
संपादक ‘देहात’