कश्मीर को आरक्षण से होगा नुकसान… विधायक सज्जाद लोन ने उठाए सवाल

जम्मू-कश्मीर पीपुल्स कॉन्फ्रेंस (पीसी) के अध्यक्ष और हंदवाड़ा से विधायक सज्जाद लोन आरक्षण प्रणाली को लेकर लगातार सवाल उठा रहे हैं. शनिवार (15 मार्च ) को उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि आरक्षण के बारे में जो आंकड़े आए हैं, वो चिंताजनक हैं. उन्होंने कहा कि सबसे बड़े दोषी कश्मीरी अधिकारी हैं, क्योंकि कश्मीर के अधिकारी ऐसे प्रमाण-पत्र नहीं दे रहे हैं.

लोन ने कहा कि ‘JKNC ने एक बार ट्वीट किया था कि एनसी 6 महीने में रिपोर्ट लेकर आएगी, लेकिन जहां तक ​​विधानसभा से मुझे जवाब मिला है, उसमें कोई सीमा नहीं है’. उन्होंने कहा कि कश्मीर के लोग इस नैतिक भेदभाव का लक्ष्य हैं. जिसका असर आने वाले दिनों में कश्मीर को बड़े स्तर पर प्रभावित करेगा. उन्होंने कहा कि यह आरक्षण प्रणाली कश्मीर को नुकसान पहुंचाएगी और इसलिए आने वाली परीक्षाओं में कम संख्या में छात्र शामिल होंगे.

‘एक विशेष जातीय समूह का वर्चस्व बनाना चाहते हैं’

विधायक ने कहा कि किसी भी सरकार के पास इससे निपटने का कोई तरीका नहीं है. वो अपने हाथों से एक आपदा की पटकथा लिख ​​रहे हैं. और एक विशेष जातीय समूह का वर्चस्व बनाना चाहते हैं. लोन ने कहा कि हम किसी के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन हम भाईचारे के साथ रहने में विश्वास करते हैं. उन्होंने कहा कि सरकार को सुरक्षात्मक कार्रवाई की योजना बनानी चाहिए, ताकि आने वाले दिनों में कश्मीर प्रभावित न हो. उन्होंने कहा कि प्रमाण-पत्र देने का अनुपात जम्मू में 85 प्रतिशत है और कश्मीर में तुलनात्मक रूप से कम है, जो नहीं होना चाहिए.

सज्जान लोन ने की आरक्षण प्रणाली की आलोचना

इससे पहले बीते गुरुवार को विधानसभा में अपने संबोधन के दौरान सज्जाद लोन ने कश्मीरी भाषी निवासियों को हाशिए पर डालने वाली आरक्षण प्रणाली की आलोचना की थी. लोन ने डेटा आधारित तर्क प्रस्तुत किया, जिसमें प्रतिष्ठित पदों पर कश्मीरी भाषी लोगों के प्रतिनिधित्व में व्यवस्थित गिरावट को दर्शाया गया है. उन्होंने कहा कि मौजूदा आरक्षण ढांचा समुदाय के लिए “सामाजिक अशक्तता” का एक रूप बना रहा है. लोन ने कहा कि 2023 में सिर्फ 19% KAS उम्मीदवार कश्मीरी भाषी थे, जो पिछले वर्षों से कम है.

उन्होंने कहा कि स्कूलों और बच्चों की समग्र मानसिक संरचना में काफी उथल-पुथल हुई है. कश्मीरी भाषी लोग एक अलग जातीय समूह बनाते हैं और हम देख रहे हैं कि हर गुजरते दिन के साथ, हर परीक्षा में उनमें से कम लोग सफल हो रहे हैं. इसलिए नहीं कि वे अक्षम हैं, बल्कि इसलिए कि उनके प्रवेश के स्थान को रोका जा रहा है. लोन ने आरक्षण में संरचनात्मक असंतुलन को उजागर किया.

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