देश 1 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा संसद में आगामी बजट 2025 पेश करने का इंतजार कर रहा है. जैसे-जैसे केंद्रीय बजट की घड़ी निकट आ रही है, वैसे-वैसे आम लोगों की दिलचस्पी इस बात की बढ़ गई कि देश की वित्त मंत्री आम लोगों को क्या सौगात देने जा रही हैं. वैसे आम बजट में कुछ शब्द और टर्म ऐसे भी हैं जो आम लोगों को समझ में नहीं आते हैं. जिसकी वजह से बजट की कई अहम बातें तो आम लोगों से जुड़ी हुई होती भी हैं, तो समझ में नहीं आती हैं. आज हम आपको ऐसे ही कुट टर्म और शब्दों को समझाएंगे, ताकि आप लोगों को बजट भाषण सुनते वक्त उन तमाम बातों को आसानी से समझ सकें.
बजट को लेकर 5 दिलचस्प फैक्ट्स
- देश की आजादी के बाद भारत का पहला बजट 1947 में आरके शनमुखम चेट्टी ने पेश किया था. यह एक अंतरिम बजट था, जो देश की आर्थिक प्रतिकूल परिस्थितियों से लड़ने के लिए 31 मार्च, 1948 तक साढ़े सात महीने की अवधि को कवर करता था.
- केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के पास अभी भी सबसे लंबे बजट भाषण का रिकॉर्ड है. साल 2020 में उन्होंने 2.42 घंटे का बजट भाषण दिया था.
- हलवा समारोह एक पारंपरिक समारोह है जिसमें हर साल, एक पारंपरिक भारतीय मिठाई “हलवा” तैयार किया जाता है और वित्त मंत्रालय के अधिकारियों और कर्मचारियों को परोसा जाता है जो बजट तैयार करने में शामिल होते हैं. यह सबसे लंबे समय से चली आ रही परंपराओं में से एक है जिसका अब भी सरकार पालन करती है.
- 1950 में, वित्त मंत्री जॉन मथाई के अधीन, केंद्रीय बजट प्रिंटिंग प्रोसेस के दौरान लीक हो गया था. लीक के बाद प्रिंटिंग प्रोसेस को राष्ट्रपति भवन से मिंटो रोड पर ट्रांसफर कर दिया गया. बाद में 1980 में इसे नॉर्थ ब्लॉक बेसमेंट में ट्रांसफर किया गया.
- 1955 तक केंद्रीय बजट विशेष रूप से अंग्रेजी में होता था, फिर 1955-56 के बाद वार्षिक वित्तीय दस्तावेज अंग्रेजी और हिंदी दोनों में पेश किया जाने लगा. इस परंपरा की शुरुआत वित्त मंत्री सीडी देशमुख ने की थी.
बजट के वो 15 टर्म जो आपके के लिए समझना जरूरी है
- बजट अनुमान (बीई): बजट अनुमान उस धनराशि की अनुमानित राशि है जिसे किसी विशिष्ट मंत्रालय को आवंटित करने की घोषणा की जाती है. इस आंकड़े का उपयोग उपयोग और अवधि में खर्च होने वाली अनुमानित लागत को निर्धारित करने के लिए भी किया जाता है.
- पूंजीगत व्यय (कैपेक्स): पूंजीगत व्यय वह कुल धनराशि है जिसका उपयोग सरकार अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए करने की योजना बना रही है.
- उपकर (सेस): यह स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा जैसे उद्देश्यों को पूरा करने के लिए इनकम टैक्स में जोड़ा गया एक अतिरिक्त शुल्क है.
- प्रत्यक्ष कर (डायरेक्ट टैक्स): प्रत्यक्ष कर लोगों और कंपनियों पर इनकम टैक्स और कॉर्पोरेट टैक्स के रूप में लगाया जाता है.
- विनिवेश (डिसइंवेस्टमेंट): यह एक ऐसा प्रोसेस है जो सरकार अपनी मौजूदा संपत्तियों को बेचने के लिए करती है.
- आर्थिक सर्वेक्षण (इकोनॉमिक सर्वे): आर्थिक सर्वेक्षण एक दस्तावेज है जो वित्तीय वर्ष में देश के प्रदर्शन पर प्रकाश डालता है और आगामी बजट के लिए मार्ग प्रशस्त करता है.
- राजकोषीय घाटा (फिसकल डेफिसिट): राजकोषीय घाटा पिछले वित्तीय वर्ष में किसी देश के कुल खर्च और कुल आय के बीच अंतर का मूल्य है.
- राजकोषीय नीति (फिसकल पॉलिसी): यह देश की आर्थिक स्थिति की निगरानी करने और टैक्सेशन और सरकारी खर्च का अनुमान लगाने के लिए उपयोग किया जाने वाला नीतिगत उपाय है.
- अप्रत्यक्ष कर (इनडायरेक्ट टैक्स): अप्रत्यक्ष कर वस्तुओं और सेवाओं के माध्यम से टैक्सपेयर्स पर लगाए जाते हैं. भारत में अन्य अप्रत्यक्ष करों के अलावा जीएसटी, वैट और सीमा शुल्क भी हैं.
- महंगाई (इनफ्लेशन): महंगाई किसी देश में वस्तुओं और सेवाओं की कुल कीमतों में वृद्धि है. जैसे-जैसे किसी देश की महंगाई बढ़ती है, देश की कुल क्रय शक्ति गिरती है.
- नई कर व्यवस्था (न्यू टैक्स रिजीम): नई कर व्यवस्था एक 7-टैक्स-स्लैब इनकम टैक्स फॉर्मेट है जो टैक्स कटौती को समाप्त करके दरों को कम करती है.
- पुरानी कर व्यवस्था (ओल्ड टैक्स रिजीम): पुरानी कर व्यवस्था में केवल चार इनकम टैक्स स्लैब हैं, जिसमें 10 लाख रुपए से ऊपर की आय के लिए कर की उच्चतम दर 30 फीसदी है.
- छूट (रिबेट): छूट कुल इनकम टैक्स में कमी है, जो बदले में लोगों पर टैक्स का बोझ कम करती है.
- सोर्स पर एकत्रित कर (टीसीएस): टीसीएस वह टैक्स वैल्यू है जो विक्रेता द्वारा सामान या सेवाओं की बिक्री के समय खरीदार से कलेक्ट किया जाता है.
- कर कटौती (टैक्स डिडक्शन): कर कटौती छूट के समान होती है, जो किसी व्यक्ति या इकाई की कर योग्य राशि को कम करती है.