हिमस्खलन प्रभावित क्षेत्र में बने थे मजदूरों के आवास, पहले भी आ चुके बर्फीले तूफान

माणा गांव के पास हिमस्खलन की घटना के बाद अब सवाल खड़े हो रहे हैं कि आखिर मजदूरों के आवास ऐसी जगह पर क्यों बनाए गए जहां हिमस्खलन प्रभावित रहा है। इस क्षेत्र में पूर्व में भी कई हिमस्खलन की घटनाएं हो चुकी हैं।

शुक्रवार सुबह माणा गांव से करीब तीन किमी आगे माणा पास में सुबह छह बजे हिमस्खलन हो गया। जिसकी चपेट में वहां पर निवास कर रहे 55 श्रमिक आ गए। सेना और आईटीबीपी ने दो दिन से यहां रेस्क्यू अभियान चलाकर अधिकांश श्रमिकों को सुरक्षित निकाल लिया है। लेकिन अब बीआरओ की कार्यदायी संस्था बार्डर रोड आर्गेनाइजेशन की कार्यशैली पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

Chamoli Avalanche: Workers accommodation was built in  avalanche affected area snowstorms occurred here before

संस्था के ठेकेदार ने श्रमिकों के निवास के लिए ऐसी जगह का चयन किया जो आपदा के लिहाज से पहले से संवेदनशील रहा है। जहां मजदूर रुके हुए थे वह स्थान पहाड़ी के ठीक नीचे है, इसीलिए एवलांच ने सभी मजदूरों को अपनी चपेट में ले लिया।

Chamoli Avalanche: Workers accommodation was built in  avalanche affected area snowstorms occurred here before

स्थानीय निवासी धर्मेंद्र नैथानी का कहना है कि जिस जगह पर श्रमिकों के आवास बनाए गए थे वहां पर पहले भी हिमस्खलन होता रहा है। श्रमिकों के लिए ऐसी जगह का चयन किया गया जो संवेदनशील है।

Chamoli Avalanche: Workers accommodation was built in  avalanche affected area snowstorms occurred here before

भू वैज्ञानिक डा. एसपी सती का कहना है कि अलकनंदा या बदरीनाथ घाटी हिम अवधावों (एवलांच) के लिए जानी जाती है। सैकड़ों साल पहले इस क्षेत्र की पहाड़ियों की चोटियों पर छोटे-मोटे ग्लेशियर बने हुए थे। इन ग्लेशियरों को माउंट ग्लेशियर कहते हैं। जब यह पिघले तो इनकी जगह पर गड्ढे हो गए, जिन्हें रिलिक्ट माउंटेन साइट्स कहते हैं। ताजा बर्फबारी से इन गड्ढों में अधिक बर्फ एकत्रित हो जाती है।

Chamoli Avalanche: Workers accommodation was built in  avalanche affected area snowstorms occurred here before

ताजी बर्फ की पकड़ कम होती है और अपने ही भार ये टूटकर नीचे आ जाती है। इसे ही हिमस्खलन कहा जाता है। 2021 में गिरथी घाटी में हुई हिमस्खलन की घटना के बाद हमने एक पत्र प्रकाशित कर इस घाटी के ऐसे संवेदनशील इलाके चिह्नित किए थे जहां हिमस्खलन की संभावनाएं हैं। माणा के पास मजदूरों का कैंप भी इसी तरह के संभावित क्षेत्र में स्थित था।

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