जन हितैषी बजट पर विलाप !

विपक्ष राजनीति का ढोल तो बजाता ही है। राहुल गांधी ने कहा सिर्फ 25 पूंजीपतियों का खजाना बजट में भर दिया। एक दिन पहले दिल्ली के ग़ालिब ऑडिटोरियम में कहा कि पिछ‌ले साल निर्मला सीतारमण ने पूंजीपतियों को हलवा खिलाया था। कल (यानी 1 फरवरी 2025 को) बजट की कॉपी लाकर फोटो खिंचवायेंगी। बजट तो 90 अफसरों ने बनाया है, जिसमें सिर्फ 3 दलित हैं। ये 95 प्रतिशत पैसा पूंजीपतियों में बांट देंगे। जनता को कुछ ‌मिलने वाला नहीं। यानी पेश होने से पहले ही नये बजट की धज्जियां उड़ाने की सोच कर बैठे थे।

इनके अध्यक्ष खड़गे जी ने फरमाया- नौ सो चूहे खाकर बिल्ली हज को चली। क्या कहना चाहते हैं, बता नहीं पाये क्योंकि मन में भड़ास भरी है। अखिलेश याद‌व ने कहा- कुम्भ में भगदड़‌ मचवा दी, झूठे आंकड़े दिये। बजट के सभी आंकड़े भी झूठे हैं। मायावती को बजट पेश होते बहुजन समाज याद आया। बोलीं- सर्वसमाज को कुछ नहीं दिया। जैसे दिल्ली वाले बोले ऐसा ही मुजफ्फरनगर के विपक्षी नेताओं ने रिकार्ड बजा दिया।

नये केंद्रीय बजट में देश की 95 प्रतिशत आबादी को आयकर में छुट दी गई। ऑनलाइन खाना सप्लाई करने वाले, कैब चालकों व दिहाड़ी मजदूरों को सरकार की ओर से मुफ्त बीमा की सुविधा, अनुसूचित जातियों की महिलाओं को उद्यम के लिए 2 करोड रूपये ऋण की सुविधा, 4,91,732 करोड़ का रक्षा बजट, विज्ञान प्रोत्साहन का 55,679 करोड़ रुपये का आवंटन, कृषि विकास के लिए 1,71,437 करोड़ रूपये, किसान क्रेडिट कार्ड की सीमा 3 से बढ़ाकर 5 लाख रूपये, असम के नामरूप में नये यूरिया कारखाने की स्थापना, ऊर्जा के लिए 81,174 करोड़ रुपये का प्रावधान, स्वास्थ्य सेवाओं के लिए 98,311 करोड़ रूपये, प्राथमिक स्वास्थ केन्द्रों का डिजीटिलेशन, हर जिले में कैंसर डे सेंटर व कैंसर की सस्ती दवायें, देश भर के माध्यमिक विद्यालयों में ऑनलाइन पढ़ाई की सुविधा, स्कूलों में 3डी प्रिंटिंग के प्रशिक्षण के लिए अटल टिंकरिंग लैब, 5 नये आईआईटी, 100 पिछड़े जिलों के प्रोत्साहन की योजना, आगरा-कानपुर के चर्म उद्योग के विस्तार प्रोत्साहन के लिए बोर्ड का गठन, एक लाख अधूरे घरों को पूर्ण करा गृहहीनों को सौंपन की योजना।शहरी विकास के लिए एक लाख करोड़ रूपये। यह सब 25 पूंजीपतियों के लिए हो रहा है, 900 चूहे खाने के बाद और महाकुम्भ में भगदड़‌ आयोजित कराने के बाद क्या केन्द्रीय बजट में हो रहा है। क्या ये वास्तव में मूर्ख हैं या देश के जनमानस को महामूर्ख समझते हैं?

गोविंद वर्मा
संपादक ‘देहात’

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here