पूर्व रेल मंत्री और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के खिलाफ ‘लैंड फॉर जॉब’ घोटाला मामले में दायर चार्जशीट पर अदालत ने संज्ञान लेने का फैसला 17 फरवरी तक टाल दिया है। दिल्ली की विशेष अदालत में शुक्रवार को इस मामले की सुनवाई हुई, जिसमें विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने ने सीबीआई से कुछ और स्पष्टीकरण मांगे।
दरअसल, सीबीआई ने 30 जनवरी को अदालत को बताया था कि उसने इस मामले में अभियोजन की मंजूरी प्राप्त कर ली है। इसमें आर. के. महाजन सहित अन्य सभी आरोपी शामिल हैं, जो कि एक सरकारी अधिकारी थे। इसके बाद अदालत ने सीबीआई से चार्जशीट में उल्लिखित आरोपों की समानता और भिन्नता को स्पष्ट करने को कहा था।
सीबीआई ने नवंबर में जमा कराई थी चार्जशीट
जानकारी के अनुसार, सीबीआई ने 26 नवंबर 2023 को अदालत में इस मामले में 30 आरोपियों के खिलाफ अभियोजन की मंजूरी के लिए आवश्यक स्वीकृति प्रस्तुत की थी। हालांकि, उस समय आर. के. महाजन के खिलाफ अभियोजन की मंजूरी अभी लंबित थी। सीबीआई का आरोप है कि लालू प्रसाद यादव के रेल मंत्री रहते हुए 2004 से 2009 के बीच रेलवे में ग्रुप-डी की भर्तियों में घोटाला किया गया था। जांच एजेंसी के अनुसार, रेलवे में नौकरी देने के बदले उम्मीदवारों से जमीन की रिश्वत ली गई। ये जमीनें लालू प्रसाद यादव के परिवार के सदस्यों या उनके करीबियों के नाम पर गिफ्ट या ट्रांसफर कराई गई थीं।
क्या है ‘लैंड फॉर जॉब’ घोटाला?
सीबीआई के मुताबिक, जब लालू प्रसाद यादव रेल मंत्री थे, उस दौरान पश्चिम मध्य रेलवे, जबलपुर (मध्य प्रदेश) में ग्रुप-डी की नौकरियों के बदले लोगों से जमीन ली गई। इस मामले में लालू यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी, दो बेटियां, कुछ अज्ञात सरकारी अधिकारी और निजी व्यक्तियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। सीबीआई ने यह मामला 18 मई 2022 को दर्ज किया था। जांच में यह सामने आया कि रेलवे की नौकरी पाने वालों ने या तो अपनी जमीनें लालू परिवार के किसी सदस्य के नाम ट्रांसफर कीं या बेहद सस्ते दामों पर बेचीं।
17 फरवरी को आएगा बड़ा फैसला
इस मामले में अदालत ने सीबीआई की चार्जशीट पर संज्ञान लेने से पहले कुछ कानूनी पहलुओं पर स्पष्टीकरण मांगा है। अब अदालत 17 फरवरी को इस पर निर्णय लेगी कि चार्जशीट पर संज्ञान लिया जाए या नहीं। अगर अदालत सीबीआई की चार्जशीट पर संज्ञान लेती है, तो लालू प्रसाद यादव और अन्य आरोपियों के खिलाफ ट्रायल शुरू हो सकता है।