सरकारी कंपनियों में Independent Directors की बड़ी कमी, जानें क्या होती है स्वतंत्र निदेशकों की भूमिका

नई दिल्ली, पीटीआइ। सूचीबद्ध कंपनियों के निदेशक मंडल (बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स) में पिछले वर्ष स्वतंत्र निदेशकों की संख्या तेजी से घटी है। इसमें सरकारी कंपनियों की सबसे बड़ी हिस्सेदारी है। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2018 और 2019 के मुकाबले 2020 के आखिर में सूचीबद्ध कंपनियों में स्वतंत्र निदेशकों की संख्या घट गई। इंस्टीट्यूशनल इंवेस्टर एडवाइजरी सर्विस (आइआइएएस) की एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले वर्ष सरकारी कंपनियों में स्वतंत्र निदेशकों की नियुक्ति में काफी कमी रही। इसके चलते पिछले वर्ष सूचीबद्ध कंपनियों में स्वतंत्र निदेशकों की संख्या गिर गई।

पिछले वर्ष 31 दिसंबर को निफ्टी-500 की सूची में शामिल 14 फीसद यानी 70 कंपनियां निदेशक बोर्ड में सदस्यों की निर्धारित संख्या का अनुपालन करने में विफल थीं। इनमें से 55 कंपनियां सरकारी क्षेत्र की थीं।

आइआइएएस ने निफ्टी-500 कंपनियों के अध्ययन और उनके निदेशक बोर्ड में स्वतंत्र निदेशकों की संख्या के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला है।

सूचीबद्ध कंपनियों में छोटे निवेशकों के हितों की रक्षा में स्वतंत्र निदेशकों की बेहद महत्वपूर्ण भूमिका होती है। आइआइएएस ने इस रिपोर्ट के हवाले से कहा कि पिछले वर्ष निफ्टी-500 कंपनियों में स्वतंत्र निदेशकों की संख्या घटकर 2,396 रह गई।

वर्ष 2019 में यह संख्या 2,396 और वर्ष 2018 में 2,494 रही थी। संस्था के अनुसार स्वतंत्र निदेशकों की संख्या में इस कमी की एक वजह यह भी थी कि निफ्टी-500 की सूची से जो कंपनियां निकलीं और जो शामिल हुई, उन दोनों के स्वतंत्र निदेशकों की संख्या में बड़ा अंतर था। पिछले वर्ष निफ्टी-500 की सूची से जो कंपनियां बाहर हुई, उनमें स्वतंत्र निदेशकों की संख्या 395 थी। इसके मुकाबले सूची में शामिल होने वाली कंपनियों में स्वतंत्र निदेशकों की संख्या सिर्फ 331 थी।

जहां तक सरकारी कंपनियों का सवाल है तो निफ्टी-500 में वर्ष 2019 और 2020 में इन कंपनियों की संख्या 72 रही। लेकिन वर्ष 2019 के मुकाबले 2020 के दौरान इन कंपनियों में स्वतंत्र निदेशकों की संख्या 133 घट गई। पूंजी बाजार नियामक सेबी के दिशानिर्देशों का अनुपालन करने के लिए पिछले वर्ष दिसंबर तक इन कंपनियों को कम से कम 141 स्वतंत्र निदेशकों की नियुक्ति करनी थी।

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