देवी-देवताओं की विदाई के साथ सात दिवसीय छोटी काशी अंतरराष्ट्रीय महाशिवरात्रि महोत्सव बुधवार को संपन्न हो गया। महोत्सव की तीसरी और अंतिम जलेब राज देवता माधो राय की अगुवाई में शाही अंदाज में निकली। जलेब में देव माधो राय की पालकी के साथ चुनिंदा देव रथ चले। जलेब में राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने भी शिरकत की। बुधवार को चौहटा की जातर के बाद दोपहर एक बजे के बाद जलेब शुरू हुई।
देवता छाजणू और छमांहू जलेब में सबसे आगे रहे। उनके पीछे कोटलू घटोत्कच, देव कोटलू, देव विष्णु मतलोड़ा, देव मगरू महादेव, बायला नारायण, सराज घाटी के देव बिट्ठू नारायण, लक्ष्मी नारायण, तुंगासी ब्रह्मदेव, महामाया निहरी, अंबिका नाऊ, राज देवता माधो राय की पालकी, शुकदेव थट्टा, चौहार घाटी के बड़ा देव हुरंग नारायण, देव पशाकोट, देव घड़ौनी नारायण, देव पेखर का गैहरी आदि देवता भी चले।
राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने राज देवता माधो राय और आराध्य देव बाबा भूतनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना की। इसके बाद पारंपरिक वाद्य यंत्रों की धुनों पर जलेब धूमधाम से चौहटा, मोती बाजार, भूतनाथ बाजार होते हुए पड्डल मैदान में पहुंची।
देव आदि ब्रह्मा ने बांधी सुरक्षा कार
उत्तरशाल के टिहरी के देव आदि ब्रह्मा ने कार बांधकर सुरक्षा और समृद्धि के लिए कवच प्रदान किया। परंपरा में बुधवार को सेरी मंच के साथ सटे प्राचीन श्यामाकाली मंदिर से देवता के गूरों ने शहर की परिक्रमा शुरू की। इसके बाद चौहटा से समखेतर होते हुए दोबारा सेरी मंच पहुंचे। देवलुओं ने जौ के आटे को गुलाल की तरह हवा में उछाल कर बुरी आत्माओं को दूर करने का आह्वान किया। राजाशाही के समय राजा देव आदि ब्रह्मा से कार बंधवाते थे।