एमएलसी चुनाव: अलीगढ़ से सपा प्रत्याशी जसवंत सिंह का नामांकन पत्र खारिज

उत्तर प्रदेश विधान परिषद चुनाव 2022 में अलीगढ़ से SP प्रत्याशी जसवंत सिंह का नामांकन पत्र खारिज हो गया है. जसवंत सिंह के तीन प्रस्तावकों के पत्रों में गड़बड़ी मिली थी. जिसके बाद प्रशासन ने आज 11:00 बजे तक प्रस्तावकों को उपस्थित होने का समय दिया था. लेकिन ऑब्जर्वर के सामने प्रस्तावक उपस्थित नहीं हुए. इसके बाद जसवंत सिंह का नामांकन खारिज हो गया है. अब भाजपा प्रत्याशी चौधरी ऋषिपाल सिंह का निर्विरोध एमएलसी बनना तय हो गया है.

कौन होते हैं एमएलसी सदस्य?

दरअसल, अधिकतर राज्यों में सिर्फ विधानसभा होती है. इसका मतलब है कि इन राज्यों में एक सदनीय विधायिका है. कई राज्यों में विधानमंडल के दो सदन होते हैं, जिसमें विधानसभा और विधानपरिषद शामिल है. जिन राज्यों में द्विसदनीय विधायिका कहा जाता है. यह ठीक उसी तरह है, जैसे संसद में राज्यसभा और लोकसभा है. इसमें लोकसभा को विधानसभा माना जा सकता है जबकि राज्यसभा की तरह विधानपरिषद है. जिस तरह लोकसभा के सदस्य सीधे जनता द्वारा चुने जाते हैं, वैसा ही विधानसभा के साथ होता है. इसके उलट जिस तरह राज्यसभा सदस्य सीधे जनता द्वारा नहीं बल्कि जनप्रतिनिधियों द्वारा चुने जाते हैं, वैसे ही विधानपरिषद के सदस्य सीधे नहीं चुने जाते हैं. विधानसभा को निचला सदन या लोकप्रिय सदन कहा जाता है और विधानपरिषद को उपरी सदन कहते हैं.

कैसे होता है एमएलसी सदस्यों का चयन?

वैसे तो एमएलसी सदस्यों का चयन भी वोटिंग के जरिए होता है. लेकिन, मतदान की इस प्रक्रिया में आम जनता हिस्सा नहीं लेती हैं. वहीं, इस प्रक्रिया में जनता द्वारा चुने गए जनप्रतिनिधियों द्वारा एमएलसी सदस्यों का चयन किया जाता है. एमएलसी चुनाव में विधायकों के साथ ही स्थानीय निकाय निर्वाचन क्षेत्र के तहत जिला पंचायत सदस्य, क्षेत्र पंचायत सदस्य और नगर निगम या नगरपालिका के निर्वाचित प्रतिनिधि हिस्सा लेते हैं. इनमें कुछ उम्मीदवारों का चयन विधायक और कुछ उम्मीदवारों का चयन 38 सदस्यों को विधायक चुनते हैं. वहीं 36 सदस्यों को स्थानीय निकाय निर्वाचन क्षेत्र के तहत की ओर से किया जाता है.

सीटों का है खास गणित?

विधान परिषद में एक निश्चित संख्या तक सदस्य होते हैं. विधानसभा के एक तिहाई से ज्यादा सदस्य विधान परिषद में नहीं होने चाहिए. जैसे मान लीजिए यूपी में 403 विधानसभा सदस्य हैं तो यूपी विधान परिषद में 134 से ज्यादा सदस्य नहीं हो सकते हैं. इसके अलावा विधान परिषद में कम से कम 40 सदस्य होना जरूरी है. बता दें कि उत्तर प्रदेश विधान परिषद में 100 सीटें हैं और एमएलसी का दर्जा विधायक के ही बराबर होता है.

कहां-कहां है विधानपरिषद?

अभी देश में 6 राज्यों में ही विधान परिषद हैं. इसके अलावा बिहार, महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में भी विधान परिषद अस्तित्व में है. विधान परिषद के सदस्य का कार्यकाल 6 साल के लिए होता है. चुनाव लड़ने के लिए न्यूनतम 30 साल उम्र होनी चाहिए. यूपी में विधान परिषद के 100 में से 38 सदस्यों को विधायक चुनते हैं. वहीं 36 सदस्यों को स्थानीय निकाय निर्वाचन क्षेत्र के तहत जिला पंचायत सदस्य, क्षेत्र पंचायत सदस्य और नगर निगम या नगरपालिका के निर्वाचित प्रतिनिधि चुनते हैं. 10 मनोनीत सदस्यों को राज्यपाल नॉमिनेट करते हैं. इसके अलावा 8-8 सीटें शिक्षक निर्वाचन और स्नातक निर्वाचन क्षेत्र के तहत आती हैं.

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