छत्तीसगढ़ में पिछड़ा वर्ग के लोगों की पहचान करने के लिए मोबाइल एप लांच

छत्तीसगढ़ में अन्य पिछड़ा वर्ग और आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग के लोगों की पहचान की कवायद शुरू हो चुकी है। छत्तीसगढ़ की कुल जनसंख्या में अन्य पिछड़ा वर्ग एवं आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों की यह गिनती मोबाइल एप से की जाएगी। इसके लिए चिप्स (Chhattisgarh infotech promotion society) ने CGQDC नाम से मोबाइल एप तैयार किया है। इसे प्ले स्टोर से इंस्टाल किया जा सकता है। इसके एप के जरिए सर्वेक्षण का काम एक सितंबर से शुरू हो रहा है।

ऐसे करें रजिस्ट्रेशन

छत्तीसगढ़ क्वांटिफायबल डेटा आयोग के सचिव बीसी साहू ने बताया, मोबाइल एप को इंस्टाल करने के बाद आवेदक को पंजीयन करना होगा। पंजीयन के लिए एप में लॉगइन के लिए चार विकल्प दिए गए हैं। आधार कार्ड के द्वारा लॉगइन, राशन कार्ड के नंबर के आधार पर लॉगइन, राशन कार्ड के मुखिया के मोबाइल नम्बर के आधार पर लॉगइन अथवा उपरोक्त में से कोई भी प्रमाण नहीं होने की दशा में आवेदक स्वयं के मोबाइल के आधार पर लॉगइन कर सकते हैं। लॉगइन के बाद एप में एक फार्म दिखेगा। इसमें नाम, पिता अथवा पति का नाम, वार्षिक आय, परिवार के सदस्यों की संख्या, वार्ड अथवा ग्राम पंचायत, जनपद, जिला आदि की जानकारी भरकर अपलोड करना होगा। आवेदक के द्वारा अपलोड की गई जानकारी संबंधित आवेदक के ग्राम पंचायत, नगर पंचायत अथवा नगरीय निकाय के वार्ड के लिए नियुक्त किए गए सुपरवाइजर के पास स्वतः फारवर्ड हो जाएगी। आवेदक के क्षेत्र में अधिकृत सुपरवाइजर के पास जैसे ही आवेदक की जानकारी प्राप्त होगी, वह उसका सत्यापन करेगा, इसके बाद डाटा सर्वर में सुरक्षित रहेगा। उन्होंने बताया, एप के जरिए सत्यापित यह डेटा राज्य के अन्य पिछड़ा वर्ग एवं आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों की गणना में सहायक होगा। राज्य सरकार ने राज्य की जनसंख्या में अन्य पिछड़ा वर्ग एवं आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों की गणना के लिए छत्तीसगढ़ क्वांटीफायबल डेटा आयोग का गठन किया है। सेवानिवृत्त जिला जज सीएल पटेल को इस आयोग का अध्यक्ष बनाया गया है।

पिछले महीने मुख्यमंत्री ने ली थी बैठक

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पिछले महीने क्वांटिफायबल डेटा जुटाने के कामकाज की समीक्षा की थी। पता चला कि अभी तक बहुत सारा काम बाकी है। तय हुआ कि आयोग सामाजिक संगठनों से बात कर इस प्रक्रिया के बारे में सुझाव ले। इस बीच चिप्स में एप का काम जारी रहा। आयोग ने डेटा के लिए खाद्य विभाग के आंकड़ों का भी इस्तेमाल किया है।

आरक्षण बचाने की कवायद

राज्य सरकार ने 4 सितम्बर 2019 को जारी एक आदेश से प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्गों का आरक्षण 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत कर दिया था। वहीं आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य श्रेणी के लोगों को भी 10 प्रतिशत आरक्षण देना तय हुआ। कई लोगों ने बिलासपुर हाईकोर्ट में पिछड़ा वर्ग के आरक्षण को चुनौती दी। उसके बाद अदालत ने इस आरक्षण के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी। सरकार ने वह आंकड़ा मांगा गया, जिससे पता चले कि जनसंख्या में इस वर्ग का अनुपात क्या है।

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