मुस्लिम बहुल सीटों का मिजाज: आप-कांग्रेस की लड़ाई में एआईएमआईएम न मार जाए बाजी

इस बार के विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी की राहें आसान नहीं दिख रही हैं। राजधानी दिल्ली में वर्ष 2015 और 2020 में हुए विधानसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस का खाता भी नहीं खुल पाया था। आम आदमी पार्टी ने दोनों ही चुनावों में कांग्रेस और भाजपा को करारी शिकस्त दी थी। 2015 में हुए चुनावों के दौरान आप को 67 और 2020 में 62 सीटों पर विजय मिली थी, लेकिन अब माना जा रहा है कि कांग्रेस ने एक बार फिर कम-बैक करते हुए वोटरों का विश्वास जीता है।

मुस्लिम बहुल इलाकों में बंटे वोटर
खासकर दिल्ली की सभी मुस्लिम बहुल सीटों की बात करें तो यहां वोटर्स का मिला-जुला असर देखने को मिला है। ज्यादातर मुस्लिम बहुल सीटों पर आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच वोट बंटते हुए दिखे। अब देखने वाली बात यह होगी कि कांग्रेस को इसका फायदा मिलेगा या नहीं।

सीधा फायदा भाजपा को
दूसरी ओर ओखला और मुस्तफाबाद विधानसभा क्षेत्रों की बात करें तो यहां कांग्रेस, आम आदमी के अलावा एआईएमआईएम को भी खासे वोट मिलते दिख रहे हैं। राजनीतिक पंडितों का कहना है कि जहां-जहां कांग्रेस और आप के वोट आपस में बंट रहे हैं, वहां इसका सीधा फायदा भाजपा को होता दिख रहा है। हालांकि आठ फरवरी को रिजल्ट आने पर दावों और हकीकत का पता चल पाएगा।

ओवैसी ने दो सीटों पर लगाया पूरा जोर
असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने इस बार ओखला और मुस्तफाबाद विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए। इनमें दिल्ली दंगों के आरोपी ताहिर हुसैन और ओखला से शिफा-उर-रहमान शामिल हैं। असदुद्दीन ओवैसी ने इन दोनों ही सीटों पर अपने प्रत्याशियों को जिताने के लिए पूरा जोर लगाया।

एआईएमआईएम के खाते में अच्छे खासे वोट
ओखला से कांग्रेस ने अरीबा खान, आप ने अमानतुल्लाह खान और भाजपा ने मनीष चौधरी को प्रत्याशी बनाया। मुस्तफाबाद की बात करें तो कांग्रेस ने अली मेहंदी, आप ने आदिल अहमद खान और भाजपा ने मोहन सिंह बिष्ट को अपना प्रत्याशी बनाया। इन उम्मीदवारों के बीच एआईएमआईएम अच्छे खासे वोट लेते हुए दिख रही है।

कांग्रेस के वोट बढ़ने की संभावना
बाकी मुस्लिम विधानसभा क्षेत्रों की बात करें तो सीलमपुर, सीमापुरी, बाबरपुर, चांदनी चौक, मटिया महल, जंगपुरा, सदर बाजार समेत बाकी विधानसभाओं क्षेत्रों में आप व कांग्रेस के बीच वोट बंटते हुए दिख रहे हैं। जानकारों का कहना है कि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की चुनावी सभाओं की वजह से कांग्रेस के वोट बढ़ने की संभावना है।

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