जिंदगी में खुशियों की उम्मीद छोड़ चुके एचआईवी (ह्यूमन इम्यूनो डेफिशिएंसी वायरस) संक्रमितों के लिए उम्मीद का सूरज निकला। एक या दो नहीं, बल्कि अब तक संक्रमित 20 जोड़ों को शादी के बंधन में बांध दिया गया है। स्वास्थ्य विभाग के एआरटी सेंटर पर परामर्श के दौरान सार्थक पहल के बाद अब संक्रमित आम लोगों की तरह जिंदगी जी रहे हैं।
स्वामी कल्याण देव जिला चिकित्सालय में एआरटी सेंटर पर 2200 से अधिक एचआईवी संक्रमित मरीजों को काउंसिलिंग के साथ उपचार दिया जा रहा है। लक्षणों के आधार पर कराई जाने वाली जांच में बहुत से लोग संक्रमित पाए जाते हैं, इनमें अविवाहित भी सामने आ रहे हैं। ऐसे में बीमारी फैलने के डर से शादी का संकट खड़ा हो जाता है। बीमारी फैलने के खतरे को कम करने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने अनोखा तरीका निकाला। एआरटी सेंटर पर कार्यरत परामर्शदाताओं ने अविवाहित महिला-पुरुष संक्रमितों को समझाकर उनका विवाह कराना शुरू किया। जिले में अब तक 20 से अधिक ऐसे विवाह कराए जा चुके हैं। सुखद बात यह है कि ऐसे जोड़े सिर्फ सामान्य जीवन ही नहीं जी रहे हैं, बल्कि संतान भी पैदा कर रहे हैं।
छह माह तक पीपीटीसीटी की दवा लेगी दुल्हन
संक्रमितों का विवाह कराकर एआरटी सेंटर की ओर से महिला को पीपीटीसीटी (प्रिवेंशन ऑफ़ पैरेंट टू चाइल्ड ट्रांसमिशन) का कोर्स कराया जाता है। दुल्हन छह माह तक ऐसी दवा लेती है, जिससे उसके गर्भ में पलने वाले शिशु पर संक्रमण का खतरा न रहे। संक्रमितों की शादी कराकर वायरल लोड चेक किया जाता है। छह माह की दवा देने पर टीएनडी (टारगेट नॉट डिटेक्टेड) आने पर महिला को गर्भ धारण करने की सलाह दी जाती है। अब तक कराई गईं अधिकतर शादियों के बाद संक्रमितों से पैदा हुई अधिकतर संतान एचआईवी नेगेटिव पाई गईं।