मुजफ्फरनगर के दोनों मेडिकल कॉलेजों का हो अधिग्रहण !

कोरोना की दूसरी लहर से देशभर में त्राहि-त्राहि मची है जिसके कारण चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवायें चरमरा गई हैं। छोटे-मोटे निजी अस्पतालों तथा सरकारी चिकित्सालयों की ही नहीं बड़े-बड़े प्राइवेट अस्पतालों और देश के सभी एम्स की स्वास्थ सेवायें नाकाफी और आधी-अधूरी प्रतीत हो रही हैं। कोरोना के प्रकोप ने अन्य रोगियों के समक्ष प्राणों का संकट खड़ा कर दिया है क्योंकि बड़े अस्पतालों के ओ.पी.डी बंद कर दिये गए हैं और निजी चिकित्सक कोरोना के डर से पुराने मरीजों को देखने में हिचकिचाते हैं।

चिकित्सक एवं स्वास्थकर्मी चौबीसों घंटे काम में जुटे हैं फिर भी शिकायतों की भरमार है। ऐसे में लाभ कमाने या पैसे बटोरने के उद्देश्य से खोले गए निजी मेडिकल कॉलेजों की हालत तो कोरोना के प्रादुर्भाव से पहले से ही खस्ता थी। मुजफ्फरनगर में दो निजी मेडिकल कॉलेज हैं। एक एलोपैथी का, दूसरा आयुर्वेद एवं यूनानी। बेगराजपुर का मेडिकल कॉलेज स्थापना काल से ही वहां की अव्यवस्थाओं के कारण चर्चाओं में रहा है। रुड़की रोड मुजफ्फरनगर स्थित आयुर्वेद तथा यूनानी मेडिकल कॉलेज की भी चर्चा होती रही यद्यपि जांच और सच्चाई जाने बिना कुछ नहीं कहा जा सकता। शासन ने इन दोनों मेडिकल कॉलेजों को कोविड-19 केंद्रों में तब्दील कर दिया। आरंभ के एक-दो सप्ताह तक कोई शिकायत नहीं आई किंतु बाद में शिकायतों का अंबार लग गया।
इन चर्चाओं में कहां तक सच्चाई है यह जांच का विषय है बहरहाल दोनों मेडिकल कॉलेज सेवा के पैमाने पर खरे होते नहीं दिखाई देते। ऐसी स्थिति में उत्तर प्रदेश सरकार दोनों मेडिकल कॉलेजों का अधिग्रहण कर उनकी व्यवस्था को सुचारू कर कोरोना एवं सामान्य मरीजों की चिकित्सा के लिए तैयार किया जाए।

गोविंद वर्मा
संपादक देहात

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