अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ‘नासा’ द्वारा भेजा गया रोवर शुक्रवार को मंगल ग्रह पर उतर गया है। रोवर को किसी ग्रह की सतह पर उतारना अंतरिक्ष विज्ञान में सबसे जोखिम भरा कार्य होता है। नासा की पासाडेना, कैलिफोर्निया स्थित जेट प्रणोदन प्रयोगशाला में ‘ पर्सविरन्स ’ को लाल ग्रह की सतह पर उतारने को लेकर हलचल का माहौल रहा।
नासा की कैलिफोर्निया स्थित जेट प्रपल्सन लेबरोटरी में पर्सेवरेंस को लाल ग्रह की सतह पर उतारने को लेकर लोगों में उत्साह चरम पर था। भारतीय समय के अनुसार रात 2 बजकर 25 मिनट पर इस मार्स रोवर ने लाल ग्रह की सतह पर सफलतापूर्वक लैंड किया।
इसकी लैंडिंग के साथ ही नासा के वैज्ञानिकों व कर्मचारियों के बीच खुशी की लहर दौड़ गई। उनमें से, विशेष रूप से एक भारतीय मूल की वैज्ञानिक डॉ. स्वाति मोहन के लिए अधिक उत्साह का क्षण था। वैज्ञानिक डॉ. स्वाति मोहन नासा के इस टीम की हिस्सा थी, जिसकी मदद से नासा को इतिहास रचने में कामयाबी मिली है।
कौन है भारतीयमूल की वैज्ञानिक स्वाति मोहन?
डॉक्टर स्वाति मोहन एक भारतीय अमेरिकी वैज्ञानिक हैं, जो प्रमुख सिस्टम इंजीनियर होने के अलावा गाइडेंस, नेविगेशन व कंट्रोल के लिए मिशन कंट्रोल स्टाफिंग को शेड्यूल करने का काम करती हैं। स्वाति सिर्फ एक साल की थीं जब वह अपने परिवार के साथ अमेरिका गई थीं। कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से मैकेनिकल एवं एयरोस्पेस में इंजीनियरिंग से स्नातक की डिग्री हासिल की। एस्ट्रोनॉटिक्स में एमआईटी से एमएस व पीएचडी पूरी की। भारतीय-अमेरिकी वैज्ञानिक ने इससे पहले कैसिनी (शनि के लिए एक मिशन) और ग्रेल (GRAIL) (चंद्रमा पर अंतरिक्ष यान उड़ाए जाने की एक जोड़ी) परियोजनाओं पर भी काम किया है।