नयी दिल्ली। एनसीईआरटी ने ‘‘ पाठ्यक्रम को युक्तिसंगत’’ बनाने की प्रक्रिया के तहत 12वीं कक्षा की पाठ्यपुस्तकों से वर्ष 2002 के गुजरात दंगे, आपातकाल, शीत युद्ध, नक्सल आंदोलन और मुगल दरबार की जानकारी देने वाले कुछ हिस्से हटा दिए हैं।
राष्ट्रीय शैक्षणिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) ने पाठ्यक्रम के उन हिस्सों को हटाने के पीछे ‘‘अतिव्यापी’’ और ‘‘अप्रासंगिक’’ होने का हवाला दिया है।
इनमे से कई बदलावों की घोषणा इस साल के शुरुआत में तब की गई थी जब केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने अप्रैल में अपने पाठ्यक्रमों को युक्तिसंगत बनाया था।
सीबीएसई के अलावा कुछ राज्य भी एनसीईआरटी की किताबों का इस्तेमाल करते हैं।
इन बदलावों को सूचीबद्ध करते हुए एनसीईआरटी ने एक नोट में कहा, ‘‘पाठ्यपुस्तकों की सामग्री को विभिन्न कारणों से युक्तिसंगत बनाया गया है, जिनमें एक ही कक्षा में एक ही तरह की सामग्री अन्य विषयों में होने, एक तरह ही सामग्री उसी विषय में निचली और ऊपरी कक्षा में होने के कारण शामिल हैं।’’
बारहवीं कक्षा की राजनीति विज्ञान की पाठ्यपुस्तक में से ‘गुजरात दंगों’ की सामग्री को हटाया जाएगा जो ‘‘भारतीय राजनीति के नवीनतम घटनाक्रम’ शीर्षक अध्याय के तहत शामिल है। पाठ्यपुस्तक से वर्ष2002 हिंसा पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट का उल्लेख और तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की ‘‘राजधर्म’’ संबंधी टिप्पणी भी हटाई जा रही है।
इसी प्रकार इतिहास की पाठ्यपुस्तक से मुगल दरबार का अध्याय हटाया जा रहा है। इसके अलावा राजनीति विज्ञान की किताब से दलित आंदोलन पर लिखी गई कविता और शीत युद्ध से जुड़े अध्याय हटाई जा रही सामग्री में शामिल है।
दसवीं कक्षा की ‘‘ धर्म, संप्रदायवाद और राजनीति से कवि फैज अहमद फैज की कविता और लोकतांत्रिक राजनीति-II किताब से ‘संप्रदायकवाद, धर्म निरपेक्ष राज्य’ के हिस्से को हटाया जा रहा है।
इसके साथ ही ‘‘लोकतंत्र और विविधता’’, ‘‘लोकप्रिय संघर्ष और आंदोलन’’ और ‘‘लोकतंत्र की चुनौतियां’’शीर्षक के अध्याय भी अब पाठ्यक्रम का हिस्सा नहीं होंगे। सातवीं और आठवी कक्षा की समाज विज्ञान की पुस्तक से दलित लेखक ओमप्रकाश का संदर्भ हटाया गया है। सातवीं कक्षा की किताब ‘हमारा इतिहास-2’ से ‘‘सम्राटों के प्रमुख अभियान और घटनाएं’’शीर्षक से पढ़ाए जा रहे अध्याय हटाए जा रहे हैं।