बाहर भी कोलाहल, घर के भीतर भी कोलाहल !

दशकों पहले मुजफ्फरनगर प्रदर्शनी पंडाल में आयोजित कवि सम्मेलन में देवराज दिनेश की रचना ‘भारत माँ की लोरी’ की एक पंक्ति … बाहर भी कोलाहल, घर के भीतर भी कोलाहल, मैं तो पागल आज हुई जाती हूँ… रह-रह कर आज मन-मस्तिष्क में गूंज जाती है। 20 अप्रैल को सीमावर्ती पुंछ में रोज़ा इफ्तार की खाद्य सामग्री बांटने जा रहे अर्द्ध सैन्य बल के वाहन पर भट्टा डूरियन के समीप आतंकी हमला हुआ। सीमाओं की सुरक्षा में सन्नध हमारे पांच वीर शहीद हो गए। आज यह दुःखद समाचार आया कि छत्तीसगढ़ के दन्तेवाड़ा में हमारे दस जवान शहीद हो गए। नक्सलियों ने सैन्य वाहन को बारूदी सुरंग से उड़ा दिया था।

देश के दुश्मन देश के बाहर भी और भीतर भी सक्रिय हैं और हमारे नेता माफियाओं की मौत पर स्यापा कर रहे हैं, प्रधानमंत्री पद हथियाने की जुस्तजू में आनन्द मोहन जैसे आई.एस. अधिकारी के हत्यारे को जेल से छोड़ते हैं। देश की आंतरिक एवं बाह्य संकटों से इन्हें लेना देना नहीं। कारण यह कि देश पर बड़े विदेशी हमले, सीमाओं का अतिक्रमण, बड़े आतंकी हमले इनके ही शासन के दौरान हुए। बी.सी. शुक्ला जैसे दिग्गज नेता भी नक्सलवाद के शिकार हुए किन्तु छत्तीसगढ़ से नक्सलवाद खत्म न हुआ, जबकि आज भी वहां इन्हीं का राज है।

देश की बाह्य एवं आंतरिक सुरक्षा में सभी के योगदान की अपेक्षा रहती है। 1972 के पाकिस्तानी हमले पर अटल जी मुक्तिवाहनी का समर्थन करते हैं और इन्दिरा जी को दुर्गा बताते हैं। राहुल चीन के राजदूत के यहां डिनर के बाद मोदी को जवानों के खून का सौदागर बताते हैं। सतपाल मलिक ढाबे से मोदी के फोन की मनोहर कहानी सुना कर देश को भ्रमित करते हैं। फारूख पुंछ आतंकी हमले को सेना का दोष बताते हैं।

अभी कल ही एनआईए ने पी.एफ.आई के 16 ठिकानों की तलाशी ली। हिज़बुल मुजाहिदीन के स्वयंभू कमांडर सैयद मोहम्मद शाह की रामबन (श्रीनगर) स्थित संपत्ति जब्त की। अन्तर्राष्ट्रीय सीमा पर पाकिस्तानी ड्रोन हथियार व ड्रग लेकर रोज आते हैं जिनको पकड़ने-खदेड़ने में सीमा सुरक्षा बल चौबीसों घंटे सावधान रहता है। अरुणाचल और लद्दाख पर चीन की कुदृष्टि बनी हुई है। नेता विषम परिस्थिति में भी अवसर तलाशने में जुटे हैं। कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड तक ये फैले हैं। इनके षड्यंत्र को जनता ही विफल करेगी।

गोविंद वर्मा
संपादक ‘देहात’

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