सरकार को जनहितैषी बनाने में विपक्ष की मजबूती जरूरी, छत्तीसगढ़ में भाजपा हुई सक्रिय

लोकतंत्र में विपक्ष की मजबूती सरकार को जनहितैषी बनाने में अहम भूमिका निभाती है। प्रदेश में मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की पिछले ढाई साल की गतिविधियां इस अवधारणा के अनुरूप नहीं नजर आतीं। पार्टी के नेता और कार्यकर्ताओं में शिथिलता जैसी स्थिति रही। पिछले कुछ दिनों से विपक्ष की सक्रियता जरूर बढ़ी है और सत्तारूढ़ कांग्रेस नेताओं की छोटी-सी गलती पर भी भाजपाई कड़ी प्रतिक्रिया करने लगे हैं। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि 15 वर्षों की सत्ता जाने के बाद सदमे से गए भाजपाई एकाएक उतावले हो गए हैं।

राज्य में भाजपा संगठन को रणनीतिक तौर पर मजबूती देने की तैयारी में लग गई है। इसे केंद्रीय नेतृत्व का दबाव कहें या राज्य इकाई की रणनीति या फिर प्रदेश प्रभारी की सख्ती, मगर अब भाजपाई सक्रिय जरूर दिखाई देने लगे हैं। भाजपा की इस सक्रियता का परिणाम तो समय के साथ ही सामने आएगा। पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा को कांग्रेस के हाथों करारी हार का सामना करना पड़ा और डेढ़ दशक तक राज्य में सत्ता पर काबिज रही पार्टी विपक्ष की भूमिका में चली गई।

हालांकि, मई 2019 में लोकसभा चुनाव में प्रदर्शन अच्छा रहा और ग्यारह में से नौ सीटों पर जीत दर्ज कर मजबूत उपस्थिति का अहसास कराया था। इससे उत्साहित भाजपा विधायकों ने विधानसभा में कई बार तीखे सवालों से मंत्रियों और सरकार को असहज भी किया, परंतु मुख्यमंत्री भूपेश बघेल खुद कमान संभालकर 15 वर्षों के शासन की गड़बड़ियों को उजागर करते हुए भाजपा विधायकों को चुप कराते रहे हैं।

समझा जा रहा है कि उसके बाद ही भाजपा के रणनीतिकारों ने मौके का इंतजार करने की योजना बनाई, ताकि सरकारी कामकाज में कमजोरियों की पहचान की जा सके और उसी के आधार पर सरकार को घेरने की रणनीति बनाई जाए। इसी कारण भाजपा लगभग पौने तीन वर्ष तक लगभग चुपचाप रही। हालांकि राज्य की सत्ता जाने के बाद भाजपा में कई गुट मुखर हुए। वरिष्ठ नेताओं द्वारा गुटबाजी की बात को नकारने के बावजूद अनुशासित पार्टी की दीवारों से खटपट की आवाज आती रही।

छत्तीसगढ़ में भाजपा का गढ़ ढहने से केंद्रीय नेतृत्व भी चिंतित था। राज्य के संगठन में जान फूंकने के लिए राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री शिव प्रकाश और प्रदेश की प्रभारी सांसद डी. पुरंदेश्वरी देवी लगातार दौरे कर रहे हैं। उनकी कार्यप्रणाली ने राज्य इकाई को नींद से जगाने का काम किया है। इसका असर भी दिखने लगा है। हाल में ही पूर्व मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह पर आरोप लगा तो जवाबी हमले के लिए पूरी पार्टी एक सुर में नजर आई।

अब तो सांसदों की भी कार्यप्रणाली परखी जा रही है। 31 अगस्त से बस्तर में प्रस्तावित प्रदेश स्तरीय चिंतन शिविर और कार्यकर्ता सम्मेलन से उम्मीद की जानी चाहिए भाजपा सशक्त और सकारात्मक विपक्ष की भूमिका निभाने के लिए सजग होगी और जनहित के मुद्दे पर बेहतर परिणाम आएंगे।

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