पाक कर रहा था तालिबान को शामिल करने की मांग, 25 को होने वाली सार्क की बैठक रद्द

तालिबान एक के बाद एक प्रांत पर प्रांत जीतते हुए राजधानी काबुल तक पहुंच गया और राष्ट्रपति अशरफ गनी को देश छोड़कर भागना पड़ा. अफगानिस्तान की सत्ता पर तालिबान काबिज हुआ तो विश्व समुदाय ने वेट एंड वॉच की नीति अपना ली. हालांकि, चीन और पाकिस्तान जैसे देशों ने तालिबान की सरकार को मान्यता दे दी.

पाकिस्तान ने तो तालिबान की सरकार को दुनियाभर में मानों मान्यता दिलाने का ठेका ले लिया हो. पाकिस्तान के विदेश मंत्री तालिबान के सत्ता पर काबिज होने के साथ ही विदेश भ्रमण पर निकल गए तालिबान के लिए समर्थन जुटाने. तालिबान को लेकर अफगानिस्तान की कोशिशों को बड़ा झटका लगा है. 25 सितंबर को अमेरिका के न्यूयॉर्क में होने वाली दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (SAARC) की बैठक रद्द हो गई है.

पाकिस्तान इस बैठक में तालिबान को भी शामिल करने की मांग कर रहा था. सार्क में शामिल अधिकतर देश तालिबान को भी बैठक में शामिल करने की पाकिस्तान की मांग के खिलाफ थे. सार्क के अधिकतर सदस्य देश जब पाकिस्तान की इस मांग को मानने के लिए तैयार नहीं हुए कि तालिबान सरकार के विदेश मंत्री को इस बैठक में शामिल किया जाए तो नई मांग रख दी गई.

पाकिस्तान ने इसके बाद ये शर्त रखी कि किसी भी कीमत पर अफगानिस्तान की पिछली यानी अशरफ गनी की सरकार के विदेश मंत्री को किसी भी कीमत पर इस बैठक में शामिल होने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए. अधिकतर सार्क देशों ने पाकिस्तान की इस शर्त पर भी असहमति जताई. अंत में 25 सितंबर को होने वाली इस बैठक को रद्द करने का निर्णय लिया गया. सार्क के विदेश मंत्रियों की बैठक का रद्द होना और तालिबान के विदेश मंत्री को शामिल करने की मांग अधिकतर सदस्य देशों की ओर से ठुकराया जाना पाकिस्तान के लिए बड़ा झटका है.

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