जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने मंगलवार को कहा कि चुनाव, जम्मू कश्मीर के लोगों का अधिकार है, लेकिन वह केंद्र के सामने इसके लिए भीख नहीं मांगेंगे। अगर इस साल चुनाव नहीं होते हैं तो न हो। वहीं, एक अन्य सवाल के जवाब उन्होंने कहा कि वीडीजी सदस्यों को बंदूकें देना सरकार की मजबूरी बन गई है और इससे जाहिर होता है कि प्रदेश के हालात पर सरकार का नियंत्रण नहीं है।
अनंतनाग में उमर अब्दुल्ला ने कहा, ‘अगर इस साल चुनाव नहीं होते हैं, तो न हो। हम भिखारी नहीं हैं। मैंने बार-बार कहा है कि कश्मीरी भिखारी नहीं हैं। चुनाव हमारा अधिकार है लेकिन हम इस अधिकार के लिए उनसे (केंद्र सरकार से) भीख नहीं मांगेंगे। वे हमारे लिए चुनाव बहाल करना चाहते हैं, अच्छा। लेकिन अगर वे ऐसा नहीं करना चाहते हैं, तो ठीक। वो जानते हैं चुनाव के बाद जो सरकार बनेगी वो लोगों के जखमों पर मरहम लगाएगी, जबकि वो (भाजपा) सिर्फ लोगों को जख्म देना जानते हैं।’
वहीं, राजोरी हमले के बाद ग्राम रक्षा गार्डों (वीडीजी) को हथियार देने के सरकार के फैसले के बारे में पूछे जाने पर उमर अब्दुल्ला ने कहा कि इससे साफ पता चलता है कि 2019 में अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के समय देश से किए उनके दावे खोखले हैं। तब केंद्र में भाजपा की सरकार ने कहा था कि 370 हटने के बाद प्रदेश में बंदूकों की संस्कृति नहीं होगी, जबकि जमीन पर ऐसा नहीं है। राजोरी हमले से इस बात की ओर इशारा करता है कि स्थिति नियंत्रण में नहीं है। सरकार अब ये कदम उठाने के लिए मजबूर है।