टीडीएस के खिलाफ दायर याचिका खारिज, सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायालय जाने को कहा

सुप्रीम कोर्ट ने टीडीएस (टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स) के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए याचिकाकर्ता को उच्च न्यायालय जाने को कहा है। वरिष्ठ वकील और भाजपा नेता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने टीडीएस के खिलाफ जनहित याचिका दायर की थी। अपनी याचिका में उपाध्याय ने टीडीएस को मनमाना, तर्कहीन और असंवैधानिक बताया था। 

सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायालय जाने की दी सलाह
मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने याचिका खारिज करते हुए याचिकाकर्ता को उच्च न्यायालय जाने को कहा। सुनवाई के दौरान सीजेआई ने कहा कि ‘हम इस याचिका पर सुनवाई नहीं कर सकते। इसे बहुत खराब तरीके से तैयार किया गया है। आप उच्च न्यायालय जा सकते हैं। कुछ फैसलों में इसे बरकरार रखा गया है। हम इस पर विचार नहीं करेंगे।’

क्या होता है टीडीएस
टीडीएस या सोर्स पर टैक्स कटौती (TDS) की शुरुआत कर चोरी रोकने के लिए की गई थी। यह एक ऐसा तरीका है जिससे सरकार सीधे आय के स्त्रोत से कर लेती है। यह कर का ऐसा प्रकार है, जिसमें किसी व्यक्ति या संगठन को मिलने वाली सैलरी, ब्याज, किराया या कंसल्टेंसी फीस देने से पहले ही तय राशि टैक्स के रूप में काट ली जाती है और इसे तुरंत सरकार को भेज दिया जाता है। TDS सरकार के लिए टैक्स इकट्ठा करने की प्रक्रिया को सरल बनाता है और टैक्स चोरी को रोकने में भी मदद करता है। टीडीएस राशि की वापसी बाद में तब की जाती है जब करदाता अपना आयकर रिटर्न दाखिल करते हैं।

याचिका में टीडीएस की इन आधार पर की गई थी आलोचना
याचिका में उपाध्याय ने तर्क दिया कि टीडीएस एक जटिल प्रक्रिया है, जिसे समझने के लिए कानूनी और वित्तीय विशेषज्ञता की जरूरत है। कई करदाताओं को इसकी समझ नहीं है। याचिका में आगे कहा गया है कि अशिक्षित या आर्थिक रूप से कमजोर व्यक्तियों को इस तकनीकी ढांचे को समझने में मुश्किल होती है और इसके चलते उनका उत्पीड़न होता है। यह समानता के संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन है। उपाध्याय ने ये भी कहा कि कई करदाता, विशेष रूप से ग्रामीण या आर्थिक रूप से कमजोर पृष्ठभूमि के लोग, अक्सर रिफंड से वंचित रह जाते हैं, जिससे सरकार को अनुचित लाभ होता है। 

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