पुलिस के दो चेहरे- सवाल संवेदना का है !

हमारे सामने पुलिस से संबंधित दो समाचार हैं। मंगलवार की ये दोनों घटनायें मुज़फ़्फ़रनगर के पुरकाज़ी व ककरौली क्षेत्र की है। अभी 4-5 दिन पहिले एक ट्रक चालक पुरकाज़ी थाना क्षेत्र के ग्राम फलौदा में एक मंदबुद्धि किशोरी को ट्रक से उतार कर चलता बना। किशोरी को गांव वालों ने सड़क के समीप बने मंदिर में बैठा दिया। कोई कुछ दे देता तो खा लेती नहीं तो, नहीं तो भूखी बैठी रहती। ग्रामीणों ने इसकी जानकारी क्षेत्राधिकारी सदर हेमंत कुमार को दी तो उन्होंने थानाध्यक्ष पुरकाजी को निर्देश दिया कि वे समाज कल्याण विभाग से संपर्क कर मंदबुद्धि किशोरी के संरक्षण का प्रबंध करायें। ग्रामीणों का कहना है कि थानाध्यक्ष ने सी.ओ के निर्देश की उपेक्षा कर युवती को दरोगा के ज़रिये रुड़की जाने वाली बस में बैठा दिया। गांव वालों का कहना है कि पुलिस ने रुड़की पुलिस से कोई संपर्क किये बिना किशोरी को चलता कर दिया। ग्रामीण मंदबुद्धि की कुशलता को लेकर चिंता कर रहे हैं।

दूसरी घटना ककरौली थाना क्षेत्र की है। पुलिस रिस्पांस व्हीकल (पीआरवी) सं. 2230 के कमांडर जयविधि राठी, सब कमांडर भारत भूषण तथा पायलट कर्मवीर रात्रि गश्त पर थे उन्होंने रात्रि में जंगल में एक बालिका को भटकते देखा। पूछे जाने पर बालिका ने बताया कि वह अपनी नानी के साथ शादी में आई थी, अब रास्ता भटक गई है। पुलिस टीम ने पूछताछ कर मालूम किया तो पता चला कि ग्राम बेहड़ा सादात के अजीत सिंह के यहां शादी थी। पुलिस टीम गांव में अजीत के घर पहुंची तो वहां बालिका की नानी मौजूद मिली, जिसे बालिका को सुपुर्द कर दिया गया। ग्रामीण पुलिस टीम की मुक्त कंठ से प्रशंसा कर रहे हैं।

यह दोनों घटनाएं पुलिस की कार्यप्रणाली से संबंधित है। साथ ही इस ओर संकेत करती है कि कार्यप्रणाली मानवीय संवेदनाओं से जुड़ी है। संवेदनाहीन शख्स कर्तव्यों की खानापूरी भर करता है और उसी महकमे के संवेदनशील कर्मचारी निष्ठापूर्वक कर्तव्य पालन करते हैं। इससे यह भी सिद्ध होता है कि पुलिस अच्छी-बुरी नहीं होती। सब कुछ संवेदनशीलता और संवेदनहीनता पर निर्भर है।

गोविंद वर्मा
संपादक देहात

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