कालका-शिमला रेलवे लाइन को विद्युतीकृत करने की तैयारी-रेलवे बोर्ड

यूनेस्को की ओर से विश्व धरोहर घोषित कालका-शिमला रेलवे लाइन को विद्युतीकृत करने की तैयारी है। रेलवे बोर्ड ने इसे लेकर उत्तर रेलवे अंबाला मंडल को हेरिटेज इंपेक्ट असेस्मेंट (एचआईए) रिपोर्ट और डीपीआर तैयार करने के निर्देश दिए हैं। एचआईए रिपोर्ट के आधार पर यूनेस्को से रेल लाइन के विद्युतीकरण की मंजूरी ली जाएगी।

एचआईए रिपोर्ट तैयार करने के लिए अंबाला मंडल को दिल्ली और गुरुग्राम की दो निजी एजेंसियों के नाम भी सुझाए गए हैं। रिपोर्ट तैयार होने के बाद रेलवे बोर्ड इसे मंजूरी के लिए यूनेस्को को भेजेगा। अनुमति मिलने के बाद विद्युतीकरण का काम शुरू होगा। कालका-शिमला रेलवे लाइन 2 फीट 6 इंच की 96 किलोमीटर लंबी नैरोगेज रेलवे लाइन है।

1898 और 1903 के बीच यह रेल लाइन तैयार की गई। जुलाई 2008 को यूनेस्को ने इस रेल लाइन को भारत के पर्वतीय रेलवे विश्व धरोहर स्थल के रूप में शामिल किया है। कालका-शिमला रेलमार्ग में 103 सुरंगें और 869 पुल हैं। इस मार्ग पर 919 घुमाव आते हैं, जिनमें से सबसे तीखे मोड़ पर ट्रेन 48 डिग्री के कोण पर घूमती है।

केएसआरएस सोसायटी ने जताई चिंता
कालका-शिमला रेलवे सोसायटी (केएसआरएस) ने रेल लाइन के विद्युतीकरण के प्रस्ताव पर चिंता जताई है। सोसायटी के आजीवन सदस्य सेवानिवृत्त इंजीनियर सुभाष चंद वर्मा का कहना है कि विद्युतीकरण से ट्रैक के हेरिटेज स्वरूप से छेड़छाड़ का खतरा है। सुरंगों के भीतर बिजली लाइन बिछाना चुनौतीपूर्ण रहेगा, 20 फीसदी सुरंगों में तो पानी का रिसाव हो रहा है। खराब मौसम के दौरान बिजली गिरने के नुकसान का भी खतरा है। रेल लाइन के आसपास जानवर, पक्षी और वनस्पति को नुकसान का भी अंदेशा है।

विद्युतीकरण का प्रस्ताव क्यों
डीजल इंजन के मुकाबले इलेक्ट्रिक इंजन की गति और वहन क्षमता अधिक होती है। बेहतर सिग्नल प्रणाली के चलते ट्रेन संचालन अधिक सुरक्षित होता है। डीजल की तुलना में इलेक्ट्रिक इंजन के संचालन का खर्च 50 फीसदी तक कम है। रेल लाइन के विद्युतीकरण से इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट्स (ईएमयू) का संचालन सुविधाजनक हो जाता है।

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