दूसरी ‘कश्मीर फाइल्स’ की तैयारी?

आपको भली भांति याद होगा कि कश्मीर घाटी से हिन्दुओं की सामूहिक निकासी के लिए इस्लामी जिहादियों के कुकृत्यों पर विवेक अग्निहोत्री द्वारा बनाई गई फिल्म ‘कश्मीर फाइल’ की अरविन्द केजरीवाल ने दिल्ली विधान-सभा में कितनी बेशर्मी से कश्मीरी पंडितो के पलायन की कहानी को झूठा बता कर उसकी खिल्ली उड़ाई थी। यह भी सर्व विदित है कि कश्मीर में केजरीवाल की इस बेहूदगी भरी बकवास से पहले और बाद में भी 1990 को फिर से दोहराने की हरकतें व आतंकी साजिशें शुरू हो चुकी हैं। हिन्दुओं को घाटी से बाहर करने के लिए आतंकी इस वर्ष अब तक 14 लक्षित हत्याएं (टारगेट किलिंग) कर चुके हैं। जिनमें 5 कश्मीरी पंडित भी हैं।

12 मई को चदूरा तहसील परिसर में कश्मीरी पंडित राहुल भट्ट की हत्या कर दी गई थी। अब 31 मई को कुलगाम में सरकारी स्कूल की शिक्षिका रजनीबाला की हत्या कर दी गई। जम्मू-कश्मीर भर के हिन्दुओं में इन लक्षित हत्याओं के विरुद्ध जगह-जगह पर प्रदर्शन हुए और सरकार से कश्मीरी पंडितों की सुरक्षा की मांग की गई। सरकारी नौकरी करने वाले कश्मीरी पंडितों ने चेतावनी दी है कि यदि उनका सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरण नहीं हुआ तो वे सामूहिक रूप से पलायन कर जायेंगें।

दूसरी और जब पत्रकारों ने पूर्व मुख्यमंत्री फारुक अब्दुल्ला का ध्यान रजनीबाला तथा अन्य हिन्दुओं की हत्याओं की ओर दिलाया तो उन्होंने कहा- ‘सब मरेंगे!’

उप-राज्यपाल मनोज सिन्हा तथा केंद्र ने कहा है कि टारगेट किलिंग करने वालों को सजा दी जाएगी। कश्मीर में आखिर जिहादी, फारुक अब्दुल्ला ओर महबूबा क्या कर रहे हैं? सरकार जम्मू- कश्मीर के लिए बड़े-बड़े पैकेजों की घोषणा करती है लेकिन कश्मीरी पंडितों और वहां बसने तथा काम करने वाले हिन्दुओं की फूलप्रूफ सुरक्षा का प्रबन्द क्यों नहीं कर सकी है? क्या नेता, अभिनेता और फिल्मकार एक और ‘कश्मीर फाइल्स’ बनाने के इंतजार में हैं?

गोविन्द वर्मा
संपादक ‘देहात’

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